{"vars":{"id": "115716:4925"}}

170साल में रतलाम जिला दो बाढ़ और एक सूखा झेल चुका है : (डा प्रदीपसिंह राव,वरिष्ठ इतिहासकार)

 
रतलाम, 01सितंबर(इ खबर टुडे)। रतलाम में अब तक 36इंच से अधिक बारिश हो चुकी है और अभी मानसून की वापसी में देर है। सैलाना तो बहुत आगे निकल चुका है। 1470 मि मी यानी 50 इंच के भी ऊपर। उसके पीछे रावटी और पिपलौदा हैं। 
पूरे जिले में औसतन 35 इंच बारिश हो चुकी है। ऐसा लगता है कि दुष्यंत कुमार की बात मान कर आसमान में छेद तलाशने के लिए किसी ने इतनी तबियत से पत्थर उछाला कि मानसून के बादल में कुछ बड़ा ही छेद हो गया है। अब ये छेद भरने का नाम ही न ले रहा है। रतलाम जिले के भू अभिलेखों के इतिहास में पिछले 170वर्ष में दो बार बाढ़ और एक बार सूखा पड़ा है। 1899में पूरे चार माह में रतलाम रियासत(,जिले) में मात्र 16इंच बारिश हुई थी। जब की रतलाम में ही 27इंच औसत वर्षा होती है।पूरे राज्य में लगभग 21इंच बारिश कम होने से त्राहि त्राहि मच गई थी। लेकिन 10सितंबर 1902 के दिन 5घंटे में 9इंच बारिश हो गई थी जो कीर्तिमान बना, तब सूखे और भारी बारिश के समय सज्जन सिंह जी का ही राज्य था।रतलाम जिले में औसतन 34इंच वर्षा होती है। जून 4,जुलाई 13,अगस्त 9इंच शेष पूर्वार्ध में 2/3इंच। जिले में सबसे भारी बारिश 1902 के बाद 19/20 अगस्त की मध्य रात्रि में 3घंटे में 4इंच से ज्यादा बारिश हो गई थी, जिससे राजद नदी की बाढ़ से आधा पिपलौदा डूब गया था।
इतिहास में यह बात दर्ज है कि बाढ़ के बाद यहां के नौजवानों की स्वयं सेवा से आजादी का जज्बा पैदा हुआ था।एक अतिवृष्टि का उल्लेख 1857 का मिलता है,जब रतलाम में राजा भैरव(,भैरो सिंह)का राज्य था।तब जामन, मलेनि नदियों सहित माही में उफान आया था और तालाब फूट गए थे। वैसे रतलाम नगर में कभी बाढ़ नहीं आई।
अगस्त 2006 में 72घंटे में 17इंच पानी गिर गया था जो कीर्तिमान है।अगस्त में 2006में 42/45इंच बारिश भी एक कीर्तिमान बना। उस मानसून में ,60इंक से ज्यादा बारिश हुई थी।झाली तालाब के पानी ने कालका माता मंदिर के पग पथारे थे,मंदिर के परिसर तक पहुंच कर झाली ने आशीर्वाद लिया था।मानसून पूरे शबाब पर है और सितम्बर अंत तक 50इंच से ऊपर बारिश होने की पूरी उम्मीद है।