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Raag Ratlami bankruptcy: त्यौहारी माहौल में पार्टियों के फेल होने की चर्चाएं,चांदी और सोने के साथ जमीनों से जुडे लोग भी है लिस्ट में

 
 

-तुषार कोठारी

रतलाम। शहर में हर ओर त्यौहारी माहौल बना हुआ है। कपडों से लगाकर ज्वेलरी तक की दुकानों शोरुम में जबर्दस्त भीड भाड नजर आ रही है। बाजार का माहौल देखकर कोई भी ये कह सकता है कि इस बार की दीवाली बडी शानदार मन रही है। जीएसटी में कमी के बाद दो पहिया और चार पहिया वाहनों की बिक्री में भी जबर्दस्त तेजी है। वाहनों का स्टाक खत्म हो चुका है और अब एडवान्स बुकींग का दौर चल रहा है। इतने शानदार माहौल में ऐसी बातें क्यो चल रही है कि शहर की कई बडी पार्टियां फेल होने वाली है?

शानदार माहौल के बीच में किसी पार्टी के फेल होने की चर्चाएं किसी को भी समझ में नहीं आ रही,लेकिन चर्चाएं फिर भी हो रही है। बाजार पर नजर रखने वाले कुछ लोग तो बडे दम से कह रहे है कि दीवाली के गुजरते ही बाजार में तूफान आने वाला है। कुछ तो फेल होने वाली इन पार्टियों का आंकडा दो अंको का बता रहे है। अब अगर सचमुच ऐसा हो गया तो क्या होगा?

वैसे रतलाम शहर में बडी पार्टियों का फेल होना कोई नई बात नहीं है। हुण्डी दलालों के खेल में पहले भी कई सारी नामचीन पार्टियां फेल होती रही है। हुण्डी के दलाल,छोटी बचत करने वाले नौकरीपेशा और मध्यमवर्गीय लोगों को बडे ब्याज का लालच दिखा कर उनका पैसा हुण्डी के जरिये बडे व्यवसाइयों के व्यवसाय में लगवा देते है। बाद में जब इस तरह का कोई बडा व्यवसायी बाजार में निपट जाता है,तो असल में निपटता वो छोटा आदमी है,जिसने अपनी मेहनत की कमाई हुण्डी दलाल के जरिये बडे व्यापार में लगाई होती है।

पार्टी के फेल होने पर हुण्डी दलाल और लेनदार फेल होने वाले व्यापारी के साथ बैठक करते है और फिर मामला चार पांच आने में निपटता है। चार आने का मतलब पच्चीस परसेन्ट होता है। यानी लेनदार के अगर सौ रुपए निकलते है तो उसे केवल पच्चीस रुपए ही वापस लौटाए जाएंगे,क्योकि अब पार्टी फेल हो चुकी है। वैसे आजकल पार्टियों के फेल होने में हुण्डी दलालों के अलावा मशीनो और पटिये के व्यापार का बडा हाथ बताया जाता है। 

शहर में इस तरह के खेल पहले भी होते रहे है। अभी कुछ ही दिन पहले किसी जमाने में बडा सियासी रसूख रखने वाले एक व्यवसायी परिवार के निपटने की चर्चाएं थी। इस मामले में भी रुपया लगाने वाले कई लोगों को मन मारकर अपनी रकम से हाथ धोना पडा था। अब चर्चाएं बडी संख्या में पार्टियों के फेल होने की चल रही है।

बाजार पर नजर रखने वाले बताते है कि सोने के गहने बेचकर कारपोरेट कम्पनी बनाने वाले परिवार में भी डेढ दो सौ करोड की वसूली का मामला सामने आया था। लोग बताते है कि वसूली के लिए सीधे मुंबई के बाउंसरों को लाया गया था और उपर से नीचे तक सियासी और वर्दी वालों तक को जानकारी दे दी गई थी। वसूली करने वाले पुख्ता इंतजाम के साथ आए थे और वे कामयाबी से वसूली करके लौट भी गए।

बहरहाल दीवाली अब चालू हो ही गई है। जल्दी ही गुजर भी जाएगी। तब ये सच भी सामने आ जाएगा कि कौन कौन सी पार्टी निपटी है। इसमें चांदी और सोने से जुडी पार्टियों के साथ साथ जमीनों से जुडी पार्टियों के नाम भी शामिल हो जाए तो कोई बडी बात नहीं होगी। जमीन के जादूगरों की कहानियां भी खबरों में तैर रही है। दिल्ली मुंबई के बडे रियए एस्टेट ग्रुप का नाम अपनी कालोनी पर लगाकर प्लाट बेचने वाले दलाल का मामला भी इन दिनों गडबड ही चल रहा है। इंतजार कीजिए,कुछ ही दिनों में सबकुछ सामने आ जाएगा।

बाजारों में निकल पडे है वसूली वाले महकमे

त्यौहारी मौसम आते ही वसूली वाले कुछ महकमे बाजारों में निकल पडते है। इनमें से कुछ तो ये बताते है कि वे काम को अंजाम दे रहे है और कुछ ऐसे होते है,जो कुछ भी नहीं बताते। खानपान की चीजों की क्वालिटी पर नजर रखने का जिम्मा जिस महकमे पर है,उस महकमे के लोग त्यौहारी सीजन आने के साथ ही मिठाई नमकीन बनाने वालों के सैम्पल इकट्ठे करने में जुट जाते है।

सैम्पल इकट्ठे करने में कोई बुराई नहीं है.क्योंिक मिठाई नमकीन बनाने वालों में से कई बेहद घटिया क्वालिटी का माल उंचे दामों पर ग्र्राहकों को टिकाने के आदी है। लेकिन दिक्कत तब होती है,जब सैम्पल इकट्ठे करने वाले सिर्फ सैम्पल लेकर रुक जाते है। इन सैम्पल की सचमुच की जांच करवा कर घटिया क्वालिटी पर कार्रवाई हो तो कुछ बात है। लेकिन सैम्पलइकट्ठे करने वालों की मंशा तो कुछ और ही होती है। उनकी सिर्फ एक मंशा होती है कि सैम्पल इकट्ठा करके त्यौहारी वसूल ली जाए। उनकी मंशा पूरी भी हो जाती है।

एक और महकमा है जिसे नापतौल पर नजर रखना होती है। मिठाई के दुकानदार पुट्ठे के डिब्बो को भी महंगी मिठाई के भाव में तौलते है। इस महकमे के कारिन्दे भी त्यौहारी वसूली में व्यस्त रहते है। इस महकमे का दफ्तर शहर के बाहर है। क्वालिटी पर नजर रखने वाले महकमे के कारिन्दे सैम्पल लेने की कार्रवाई की खबरें जारी करते है,लेकिन नापतौल करने वाले तो ऐसी खबरें भी जारी नहीं करते। उनकी खबरें सिर्फ तब जारी होती है,जब नापतौल पैट्रोल डीजल की होती है। मिठाई नमकीन की नापतौल तो चुपचाप कर ली जाती है। कुल मिलाकर इस तरह के तमाम महकमों ने इस त्यौहार में भी जमकर त्यौहारी वसूली कर ली है। उनकी दीवाली सचमुच में शानदार होने वाली है।

सडक़ों का क्या होगा?

इस त्यौहारी सीजन में गाडियों की जबर्दस्त बिक्री हुई है। खबरें आ रही है कि दो पहिया और चार पहिया वालों का स्टाक खत्म हो गया है। अब एडवान्स बुकींग चल रही है। हर शोरुम से सैकडों गाडियां बिक रही है। जीएसटी दरों में गिरावट के चलते गाडियों के दामों में भी गिरावट आई है और यह भी बडा कारण है कि गाडियों की बिक्री इतनी ज्यादा हो रही है।

लेकिन बडा सवाल इसके पीछे छुपा है। शहर के बाजारों में पहले ही चलने की जगह नहीं बची है। सडक़ों पर वाहनों की भीड के चलते पैदल चलने वालों के लिए सडक़ पर चलना खतरे से खाली नहीं रह गया है। ऐसे में इस त्यौहार पर अब सैकडों नए वाहन सडक़ों पर उतर चुके है। आने वाले दिन सडक़ों के लिए बेहद भारी रहेंगे। सडक़ों का इंतजाम सम्हालने की जिम्मेदारी जिन वर्दीवालों पर है उनका ज्यादा वक्त तो हाईवे की वसूली में गुजर जाता है,इसलिए शहर की सडक़ों का इंतजाम ठीक से हो नहीं पाता। अब जब सैकडंों नई गाडियां भी सडक़ों पर आ जाएगी तब सडक़ों का क्या होगा?