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 समाज के प्रति समर्पित रहा प्रो अज़हर.हाशमी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व,शिष्यों ने दी उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि

 
 

 रतलाम 15 जून (इ खबर टुडे)। जीवन वीणा के तारों को हर रोज नई धुन देता पर, मृत्यु महाकाली की लय से कुछ तार चटकते रहते हैं। प्रो. अज़हर हाशमी जी की इन्हीं काव्य पंक्तियों में जीवन का दर्शन और अंतिम सत्य समाहित है और इसी अंतिम सत्य की ओर बढ़ते हुए 10 जून को प्रो. हाशमी जी ने  संसार से अंतिम बिदाई ली।

विद्यार्थी परिवार के अध्यक्ष सतीश त्रिपाठी ने श्रद्धांजलि सभा के प्रारम्भ में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए यह बात कही। उन्होंने आगे कहा कि प्रो. हाशमी का व्यक्तित्व और कृतित्व समाज को समर्पित रहा। यही हमारे जीवन को मार्गदर्शित करता रहेगा । 

उनकी प्रेरणादायी स्मृतियों को याद करते हुए विद्यार्थी परिवार द्वारा पीएम श्री कला एवं विज्ञान महाविद्यालय,रतलाम में भावपूर्ण श्रद्धांजलि सभा का आयोजन रविवार को किया गया । 

प्रो. हाशमी की अस्वस्थता में उनकी सेवा करने वाले उनके सेवादार बापू ने भी प्रो हाशमी जी के लिए अपनी भावपूर्ण अभिव्यक्ति देते हुए उन्हें भावांजलि दी ।
कार्यक्रम में रतलाम भाजपा के जिलाध्यक्ष प्रदीप उपाध्याय ने  रतलाम भाजपा इकाई की ओर से प्रो. हाशमी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे एक विलक्षण व्यक्तित्व के धनी थे। रतलाम को कर्म भूमि बनाकर उन्होंने रतलाम को धन्य किया। उनका व्यक्तिगत मार्गदर्शन और आशीर्वाद मुझे निरंतर प्राप्त होता रहा।

कार्यक्रम में प्रो. मनोहर जैन ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि प्रो. हाशमी जी का शिष्यत्व प्राप्त कर स्वयं को भाग्यशाली महसूस करता हूं। उन्होंने न केवल गुरु के रूप में मार्गदर्शन किया, अपितु हमारे हित के लिए सदैव तत्पर रहते हुए पूर्ण सहयोग किया। प्रो. हाशमी जी एक उदारमना व्यक्तित्व रहे ।
 
समाजसेवी प्रदीप जैन ने प्रो. हाशमी को नमन करते हुए कहा कि उनका इतना विराट व्यक्तित्व था जिसमें सभी धर्म समाहित थे। वे ज्ञान का भंडार थे। उनके साहित्य , काव्य  को जन - जन तक पहुंचाना ही उन्हें हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

समाजसेवी सुभाष जैन ने प्रो. हाशमी जी से जुड़ा प्रसंग सुनाते हुए कहा कि वे न केवल वेद, उपनिषद, कुरान पर साधिकार बोलते थे, बल्कि उनका जैन धर्म पर भी गहन अध्ययन था। जैन समाज में वे जैन धर्म पर व्याख्यान के लिए निरंतर बुलाए जाते थे। 

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. प्रदीप सिंह राव ने  कहा कि प्रो. हाशमी जी एक निडर और स्पष्टवादी व्यक्ति थे, अपनी बात को साहस के साथ कहना जानते थे। 

प्रो. आरपी पाटीदार और प्रो.बड़गोत्या ने भी प्रो. हाशमी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि प्रो. हाशमी ज्ञान और साहित्य में उस शिखर पर विराजित हैं, जहां कोई नहीं पहुंच सकता।

शिक्षक सांस्कृतिक मंच की और से श्रद्धांजलि देते हुए दिनेश कुमार शर्मा ने भी प्रो. हाशमी जी के व्यक्तित्व के अनुकरणीय पक्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि जो उनके विद्यार्थी नहीं भी रहे, वे भी उनके ज्ञान से लाभान्वित होते रहे हैं और उनसे प्रेरणा लेते रहे हैं। कैप्टेन डॉ. एन के शाह ने प्रो .हाशमी को कविता के माध्यम से श्रद्धांजलि दी ।

कार्यक्रम में विद्यालय परिवार की डॉ. प्रवीणा दवेसर ने प्रो . हाशमी जी को श्लोक और मंत्र उच्चारित कर उनके प्रणम्य व्यक्तित्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि प्रो. हाशमी जी ने सभी शिष्यों को संस्कार की संपदा दी है, जिसे अक्षुण्ण बनाए रखना हमारा कर्तव्य है।

पूर्व प्राचार्य डॉ. अनिला कंवर ने भी श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रो. हाशमी जी एक गुरु आदर्श गुरु रहे। हर  कदम पर वे शिष्यों के साथ खड़े रहे और उनका आत्म विश्वास बनाए रखा।

चिंतक त्रिभुवनेश भारद्वाज ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि प्रो. हाशमी जी की लोकप्रियता का कारण उनकी पारदर्शिता है। उन्होंने वही जीया जो लिखा। वे 28 वें नक्षत्र है।

कार्यक्रम में साहित्यकार आशीष दशोत्तर, इंदु सिन्हा, पाठक मंच की संयोजिका रश्मि पंडित, पत्रकार हेमंत भट्ट, श्याम सुंदर भाटी, राष्ट्रीय राजपूत संगठन के नरेंद्र सिंह पंवार, लेखिका वैदेही कोठारी, समाजसेवी नवनीत मेहता, डॉ. हितेश पाठक , अदिति दवेसर, ओम त्रिवेदी , कमलेश पाटीदार, सतीश जोशी , प्रकाश हेमावत, हरिप्रसाद मेहता, सिंघम टाइम्स के गोविंद उपाध्याय, नंदिनी सक्सेना, वृत्तिका त्रिपाठी, प्रारब्ध त्रिपाठी , सुरेखा नागर, शलभ नागर, पायल नागर, आशा शर्मा, अंजना सक्सेना, राजेंद्र शर्मा सहित बड़ी संख्या में गणमान्य जनों ने अपने भाव सुमन एवं पुष्पांजलि अर्पित की।

श्रद्धांजलि सभा का प्रारम्भ महर्षि संजय दवे ने शांति पाठ  और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ किया। कार्यक्रम का संचालन श्वेता नागर ने किया। आभार तुषार कोठारी ने माना।