साइबर धमकिये ने 33,500 रुपए ऐंठे, ई-उपस्थिति डेटा पर उठे सवाल
Ratlam News: गांव बोरवाना के एक माध्यमिक विद्यालय में तैनात शिक्षक के साथ एक शातिर ऑनलाइन ठगी का मामला सामने आया है। अज्ञात व्यक्ति ने खुद को अपराध शाखा का अधिकारी बताते हुए शिक्षक को सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री देखने का आरोप लगाकर भयभीत किया। धमकी में नौकरी से बर्खास्तगी, एक साल तक की सजा और भारी जुर्माने का हवाला देकर पैसे की मांग की गई और दबाव बनाकर राशि वसूल ली गई।
शिक्षक ने बताया कि 10 सितंबर की शाम को एक कॉल आई, जिसमें कॉल करने वाले ने मामले को दबाने के लिए पहले 12,500 रुपए जुर्माना बताकर माँगे। बाद में स्टांप- शुल्क के नाम पर 15,000 रुपए और मांगे गए। डर और मानसिक आघात के कारण पीड़ित ने अलग-अलग किश्तों में कुल 33,500 रुपए ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद भी आरोपियों ने अतिरिक्त राशि की माँग जारी रखी, जिस पर पीड़ित ने स्थानीय थाना में शिकायत दर्ज कराई।
ठगों ने वास्तविक दिखावा करने के लिए साइबर क्राइम का लेटरहेड और पुलिसकर्मी की फोटो अपनी प्रोफ़ाइल में लगा रखी थी, साथ ही पीड़ित के स्कूल व पेशे से जुड़ी जानकारी का संदर्भ देकर विश्वसनीयता बनाने का प्रयास किया। पीड़ित का अंदेशा है कि जिन निजी जानकारियों का इस्तेमाल किया गया, वे ई-उपस्थिति (ई-अटेंडेंस) एप के माध्यम से लीक हुई हो सकती हैं। इसी चिंता के मद्देनजर शिक्षकों के संघ ने भी इस घटना पर आपत्ति जताई है और एप से जुड़े डेटा सिक्योरिटी के त्वरित परीक्षण की माँग रखी है।
शिक्षक संघ ने प्रशासन से आग्रह किया है कि ई-उपस्थिति प्रणाली से जुड़े डेटा का सुरक्षित भंडारण सुनिश्चित किया जाए तथा शिक्षकों को किसी भी डिजिटल टूल का उपयोग अविचारित तरीके से बाध्य न किया जाए। संघ ने कहा है कि यदि सिस्टम में संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती, तो कर्मचारियों को वैकल्पिक व्यवस्था दी जानी चाहिए।
स्थानीय पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर तकनीकी साक्ष्यों, बैंक व मोबाइल ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड की मांग की है और साइबरस्पेस में अपराधी पहचान के लिए औपचारिक चैनलों से मदद ली जा रही है। साथ ही नागरिकों को सतर्क रहने और किसी भी धमकी या संदिग्ध लेन-देन की सूचना तुरंत पुलिस को देने की सलाह दी जा रही है।
यह घटना डिजिटल युग में डेटा संरक्षण की कमियों को उजागर करती है और सरकारी व निजी दोनों तरह की डिजिटल प्रणालियों में सुरक्षा मानकों की गुंजाइश पर सवाल खड़े करती है। शिक्षकों, सरकारी कर्मियों और नागरिकों के व्यक्तिगत व व्यावसायिक डेटा की नियमित ऑडिटिंग, सख्त एक्सेस कंट्रोल और साइबर-सुरक्षा प्रशिक्षण को अनिवार्य करने की आवश्यकता अब और अधिक स्पष्ट हो चुकी है। इस तरह के ठगों को अवसर न मिलने देने के लिए तकनीकी सुरक्षा के साथ-साथ जागरूकता भी ज़रूरी है। किसी भी संदिग्ध कॉल की जानकारी तुरन्त दर्ज कराएं अभी।