{"vars":{"id": "115716:4925"}}

बिजली के बिल पर संकट, असली खपत कौन तय करेगा?

 

Ratlam News: स्मार्ट मीटरों की सटीकता पर उपभोक्ताओं की शिकायतें लगातार चर्चा में रहीं। इस पर जांच के लिए बिजली वितरण कंपनी ने 550 से अधिक घरों और दुकानों पर साथ में परीक्षण मीटर लगाए। टेस्टिंग के नतीजे कंपनी की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न छोड़ गए हैं। एक उदाहरण में स्मार्ट मीटर ने एक माह तथा 17 दिन में 805 यूनिट रिकॉर्ड किए, जबकि पास ही लगे परीक्षण मीटर ने 1561 यूनिट दिखाए जो आश्चर्यजनक अंतर है।

कहीं पर तस्वीर उलटी भी दिखी  एक मकान में स्मार्ट मीटर ने परीक्षण मीटर की तुलना में 21 यूनिट अधिक दर्ज किए। यानी दोनों उपकरणों की रीडिंग क्षमता या रेकॉर्डिंग का तरीका अलग दिखाई दे रहा है, और यह उपभोक्ताओं के लिए भ्रम पैदा कर रहा है।

सवाल उठता है कि असल खपत किसे माना जाए। यदि स्मार्ट मीटर सही है तो परीक्षण मीटर में त्रुटि क्यों? और अगर परीक्षण मीटर सही है तो स्मार्ट मीटर पर उपभोक्ता का भरोसा कितना रहेगा? उपभोक्ता दावा करते हैं कि यह केवल तकनीकी खराबी नहीं, बल्कि पारदर्शिता की कमी का मामला है। स्मार्ट मीटर लगाने का जो मकसद सटीक बिलिंग और पारदर्शिता बताकर दिखाया गया था, वह इन विरोधाभासों के बाद संदेह के घेरे में आ गया है।

कंपनी की ओर से कहा गया है कि स्मार्ट मीटर की रीडिंग भरोसेमंद है। जहां सोलर सिस्टम लगे होते हैं, वहां नेट मीटर लगाए जाते हैं जो इनपुट और आउटपुट दोनों को गिनते हैं। हो सकता है परीक्षण मीटर ने दोनों तरह की यूनिट्स का योग कर लिया हो, इसलिए दोगुनी खपत दिखाई गई। कंपनी का कहना है कि नेट मीटर की जाँच केवल नेट मीटर के साथ ही की जानी चाहिए।

उपभोक्ता प्रतिनिधियों का कहना है कि यदि कुछ जगहों पर ऐसे अंतर दिखाई दे रहे हैं तो यह व्यापक समस्या भी बन सकती है। वे पूछ रहे हैं कि क्या यह महज तकनीकी गड़बड़ी है या मीटर रीडिंगों में कोई खेल चल रहा है  और यदि खेल है तो इसका बोझ उपभोक्ता उठाएगा या कंपनी।

कंपनी ने बताया कि परीक्षण मीटर शिकायतों के निपटारे और पारदर्शिता दिखाने के उद्देश्य से लगाए गए थे। रीडिंग में मामूली अंतर तकनीकी कारणों या लोड बदलने से आ सकता है। बिलों में गलती होने पर एडजस्टमेंट की प्रक्रिया मौजूद है और मीटरों को टैम्पर-प्रूफ बनाया गया है, इसलिए कंपनियों का कहना है कि जानबूझकर गड़बड़ी संभव नहीं।

हालांकि उपभोक्ता अभी संतुष्ट नहीं हैं और मांग कर रहे हैं कि दोनों प्रकार के मीटरों की विस्तृत, तटस्थ जाँच कराई जाए; साथ ही जो भी वास्तविक खामी निकलें, उसका सार्वजनिक खुलासा और समुचित निपटान किया जाए ताकि उपभोक्ताओं के हित सुरक्षित रहें। नागरिकों का सुझाव है कि स्वतंत्र एजेंसी द्वारा रैंडम सैंपलिंग और मीटर ऑडिट कराए जाएँ, जिससे भरोसा बहाल हो सके और भविष्य में बिलों के विवादों को जड़ से रोका जा सके। तुरंत पारदर्शी कार्रवाई आवश्यक।