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 सोने की चमक के पीछे काली कमाई — जब दिखावे ने सच्चाई को ढँक लिया

 
 

रतलाम, 18 अक्टूबर (इ खबर टुडे)। रतलाम की सड़कों पर हाल ही में एक प्राइवेट लिमिटेड ज्वेलरी कंपनी ने अपने नए शोरूम का उद्घाटन इस अंदाज़ में किया, मानो यह कोई व्यापारिक कार्यक्रम नहीं बल्कि शक्ति प्रदर्शन का उत्सव हो। शहर के हर मोड़ पर लटके बैनर, चौक-चौराहों पर टंगे विशाल होर्डिंग और अख़बारों के पन्नों पर फैले रंगीन विज्ञापन — मानो कंपनी अपनी साख नहीं, ईमानदारी का भी प्रचार कर रही हो ताकि चमक के पीछे की सच्चाई पर किसी की नज़र न जाए।

नगर निगम से बिना अनुमति लिए गए इन बोर्डों और सार्वजनिक स्थानों पर टंगे अनधिकृत पोस्टरों ने यह संकेत दिया कि पूँजी का प्रभाव प्रशासनिक सीमाओं को भी धुंधला कर देता है। पर जब इ खबर टुडे की खोजी टीम ने इस चमक के पीछे झाँकना शुरू किया, तो कहानी की दिशा बदल गई।

रतलाम सहित पूरे मध्यप्रदेश के ज्वेलरी उद्योग की यह चमक अब शक की रोशनी में है। शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि शहर की एक प्रतिष्ठित लिमिटेड ज्वेलर्स कंपनी  ने पिछले कुछ वर्षों में बेहिसाबी मुनाफा कमाया है। सूत्रों के अनुसार, इस कंपनी का विस्तार केवल खुदरा व्यापार तक सीमित नहीं रहा; यह अब शेयर बाज़ार के रास्ते भी अरबों के खेल में शामिल हो चुकी है।

कंपनी के शेयर का मूल्य 1300 रु  से ऊपर पहुँच जाना जहां आम निवेशकों के लिए सफलता की कहानी प्रतीत होता है, वहीं यह सवाल भी उठाता है कि क्या यह वृद्धि केवल बाजार की ताकत का परिणाम है या फिर वित्तीय तंत्र में छिपी किसी गहरी गड़बड़ी का संकेत?

अब जब इस सुनहरी कहानी की परतें खुलनी शुरू हुई हैं, तो साफ़ हो रहा है कि यह कंपनी केवल आभूषण नहीं बेच रही, बल्कि अपने कारोबार की पारदर्शिता पर सवाल भी पैदा कर रही है — और यही वह जगह है जहाँ से इ खबर टुडे की खोज शुरू होती है।

खोज का प्रारंभ, काग़ज़ों और तराज़ू के बीच

इ खबर टुडे की खोजी टीम को प्रारंभिक जानकारी मिली है कि इस कंपनी से जुड़ी कई शाखाओं में शुद्धता में गंभीर विसंगतियाँ पाई जा सकती हैं। टैक्स और बिलिंग के स्तर पर भी अनियमितताओं की संभावना जताई गई है, जहाँ फर्जी बिलिंग और ऑफ-रिकॉर्ड सोने के सौदे, यानी बिना लेखा दर्ज किए गए लेनदेन, कारोबार का हिस्सा बने हो सकते हैं। यह सब कुछ एक सुनियोजित व्यवस्था का हिस्सा प्रतीत होता है, जहाँ वास्तविक व्यापारिक आँकड़े और आय को छिपाने के लिए कई परतों का उपयोग किया गया है। कम्पनी के शोरूम पर नकली हॉलमार्क लगाकर ज्वेलरी बेचे जाने का मामला कुछ समय पहले ही सामने आया था। 

कम्पनी पर लग रहे  इन आरोपों  की विस्तृत पड़ताल इ खबर टुडे टीम ने शुरू कर दी है। प्राथमिक फोकस इस बात पर है कि किस तरह कॉरपोरेट परतों और शेयर बाज़ार की पारदर्शिता का इस्तेमाल कर कुछ व्यापारी अपने असली लाभ और पूँजी के स्रोत को छिपाने में सफल हो जाते हैं।

कॉरपोरेट चेन की परतें, जहाँ धन का पता खो जाता है

जांच के प्रारंभिक संकेत बताते हैं कि यह कंपनी केवल एक शहर या राज्य तक सीमित नहीं है। इसका नेटवर्क देश के कई हिस्सों तक फैला हुआ है। कंपनी के ढांचे में कई सहायक इकाइयाँ और निवेश कंपनियाँ शामिल हैं, जिनके माध्यम से पूँजी का आवागमन एक जटिल रूप ले लेता है। कुछ लेनदेन ऐसे प्रतीत होते हैं मानो उनका उद्देश्य वास्तविक व्यापार से अधिक धन के स्रोतों को घुमाकर वैध दिखाना हो। वित्तीय विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह की व्यवस्था कई बार “राउंड-ट्रिपिंग” और “लॉन्ड्रिंग” जैसी गतिविधियों का रूप ले लेती है, जिसमें एक ही धनराशि को अलग-अलग माध्यमों से घूमाकर वैध कारोबार के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, इ खबर टुडे की रिसर्च टीम ने अब मंत्रालय-स्तरीय रिकॉर्ड की गहराई से जांच शुरू की है। कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (MCA) की वेबसाइट पर दर्ज सार्वजनिक दस्तावेज़, जीएसटी फाइलिंग्स, और फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप डेटा एकत्रित किया जा रहा है, ताकि कोई भी दावा केवल प्रमाण पर आधारित हो, न कि अनुमान पर।

कानूनी और संस्थागत जांच की दिशा

ज्वेलरी कारोबार में इस तरह की विसंगतियाँ कई स्तरों की जवाबदेही को जन्म देती हैं। उत्पाद की शुद्धता और हॉलमार्किंग से जुड़े पहलुओं की जांच भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के दायरे में आती है, जबकि वज़न और माप में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लीगल मेट्रोलॉजी विभाग की होती है। जब मामला कर-चोरी या फर्जी बिलिंग से जुड़ता है, तो आयकर विभाग और जीएसटी निदेशालय सक्रिय भूमिका में आते हैं। यदि लेनदेन की प्रकृति मनी-लॉन्ड्रिंग या अवैध निवेश से जुड़ी पाई जाती है, तो जांच का दायरा बढ़कर प्रवर्तन निदेशालय (ED) तक पहुँच सकता है। वहीं यदि यह पाया गया कि कंपनी ने अपने निवेशकों को भ्रमित किया या शेयर बाज़ार में गलत जानकारी प्रसारित कर लाभ अर्जित किया, तो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) को भी जांच में शामिल किया जा सकता है।

इन सभी संस्थागत स्तरों के बीच अब सवाल यह है कि क्या इस बढ़ती ज्वेलरी कॉरपोरेट कंपनी की चमक के पीछे कोई ऐसी परत छिपी है जो देश के आर्थिक तंत्र की साख पर असर डाल सकती है। यही प्रश्न अब इ ख़बर टुडे टीम की जांच का केंद्र बन चुका है।