Ratlam News: बार-बार बारिश होने से बर्बाद हुई तुलसी व तिल की फसलें
Ratlam News: सप्ताहभर मौसम खुलने के बाद मंगलवार को फिर बारिश हुई। दिनभर बादल छाए रहे। हालांकि शहर में पानी नहीं गिरा लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में कई जगहों पर खंड वर्षा हुई। जावरा-उज्जैन बायपास क्षेत्र में भी 10 मिनट मूसलधार बरसात हुई। खास बात ये है कि महीनेभर से मौसम खराब है।
प्री-मानसून कहें या मावठे की बारिश, लगातार पानी गिरने से किसानों को नुकसान हुआ है। जायद (गर्मी के मौसम में होने वाली फसलें) की फसलें बर्बाद हो गई हैं। जिसकी भरपाई भी नहीं हो पा रही है। सबसे ज्यादा नुकसान तुलसी, तिल और प्याज की फसलों में हुआ है।ग्राम बानीखेड़ी के किसान पटेल भेरूलाल गुर्जर का कहना है कि रबी की फसल समेटने के बाद 5 बीघा में तुलसी की फसल लगाई थी। मई माह में 2-2, 4-4 दिन छोड़कर पानी गिरा।
इससे तुलसी के बीज पक कर तैयार हो गए थे, वो भी पानी लगने से फूलकर साबूदाने की तरह सफेद हो गए। अब वे किसी काम के नहीं। इस खराब फसल को मजदूरों से कटवाते तो 500 रुपए प्रति मजदूर के हिसाब से 10 मजदूरों के 5 हजार रुपए प्रति बीघा खर्च हो जाते। इसलिए खेत में रोटावेटर चलाकर फसल मिट्टी में मिला दी।
अब ये खाद का काम करेगी। बानीखेड़ी में भंवरलाल गुर्जर ने 5 बीघा, उमेदराम प्रजापत ने एक बीघा क्षेत्र में तुलसी की फसल पर रोटावेटर चला दिया है। शिवनारायण धाकड़ ने बताया कि अभी तिल की फसल पक कर तैयार है लेकिन बारिश होने के कारण उसे समेटने में दिक्कत हो रही है।
जो फसल पानी में भीग गई है, उसका दाना दागदार होने से मंडी में भाव नहीं मिलेंगे। चूंकि गर्मी सीजन की फसलों का प्रशासन सर्वे नहीं करता, इसलिए मुआवजा मिलना भी मुश्किल है। जो प्याज खेत में थे, उनमें भी हुआ नुकसान कई किसानों ने रबी सीजन में प्याज की फसल लगाई थी। यह महीनेभर पहले पक कर तैयार हो गई थी।
कुछ किसानों ने खुले मौसम में प्याज समेट लिया था और जो नहीं समेट नहीं पाए उनके प्याज बारिश से खराब हो गए हैं। इधर मंडी में भी प्याज के भाव 350 से 800 रुपए प्रति क्विंटल के बीच मिल रहे हैं। बारिश में भीगे हुए प्याज मंडी में नीलाम भी नहीं होते। पिछले दिनों खारुवाकलां का किसान प्याज की ट्रॉली नीलाम नहीं होने पर वापस ले गया था।
850 हेक्टेयर में प्याज, 500 में तिल व 50 हेक्टेयर में लगाई थी तुलसी- जावरा ब्लॉक में 850 हेक्टेयर में रबी सीजन के प्याज लगे थे। वहीं गर्मियों में 500 हेक्टेयर में तिल तथा 50 हेक्टेयर में तुलसी की फसलें थीं। हालांकि आलोट व ताल क्षेत्र में तुलसी का रकबा 500 हेक्टेयर के आसपास है। वहां बारिश से ज्यादा नुकसान हुआ है। वहीं प्याज में ज्यादा नुकसान पिपलौदा ब्लॉक में हुआ, क्योंकि प्याज के ज्यादा उत्पादक किसान पिपलौदा ग्रामीण में हैं।
कृषि अधिकारी इंदरसिंह भयड़िया एवं वरिष्ठ उद्यानिकी अधिकारी एसएल सोलंकी का कहना है कि जावरा ग्रामीण क्षेत्र में जायद फसलें कम होती हैं। जो किसान समय पर नहीं समेट पाए और बारिश हो गई उन्हें नुकसान हुआ होगा। अब किसान जायद फसलें समेटकर खरीफ सीजन के लिए खेत तैयार करने में जुटे हैं।