रतलाम / बीपीएल कार्ड का अनुचित लाभ लेने वाले आरोपी को 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000 रुपयें अर्थदण्ड से किया दंडित
रतलाम,31 दिसंबर (इ खबर टुडे)। फर्जी तरीके से गरीबी रेखा का राशन कार्ड बनाने के आरोपी को न्यायालय ने एक वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000/- रुपयें के अर्थदण्ड दण्डित किया है। आरोपी पर शासन से 4,297 रुपए की अवैध लाभ कमाते हुए धोखाधड़ी का आरोप है।
प्रभारी सहायक निदेशक अभियोजन गोल्डन राय द्वारा बताया गया कि कार्यालयीन अनुविभागीय अधिकारी रतलाम के समक्ष आरोपी मनोज पिता देवीलाल के विरुद्ध बीपीएल कार्ड की सुविधा का अनुचित लाभ दिए जाने एवं शासन के साथ धोखाधडी करने के सम्बंध में आवेदन प्राप्त हुआ था। जिसमें यह उल्लेख किया गया था कि मनोज पिता देवीलाल निवासी दीनदयाल नगर रतलाम म.प्र. खाद्य पदार्थ नियंत्रण आदेश 1960 की कंडिका 5, 1 (अ) के प्रावधानों का उल्लघंन करते हुए शासन की योजना के अंतर्गत बीपीएल राशन कार्ड क्र.548 वार्ड क्र.13 से प्राप्त कर अनुचित तरीके से खाद्य सामग्री का लाभ प्राप्त किया।
उक्त के सम्बंध में सहायक आपूर्ति अधिकारी द्वारा थाना माणक चौक पर अपराध धारा 3/7 आवश्यक वस्तु अधिनियम का प्रकरण पंजीबद्ध कर जांच के दौरान आरोपी द्वारा धोखाधड़ी से तैयार कराये गये। राशनकार्ड से आयुष आदर्श प्र.अप. भण्डार मर्यादित रतलाम के आरोपी द्वारा बीपीएल राशनकार्ड का कुल लाभ 4297 रू.50 पैसे का लाभ उठाया। आरोपी स्वयं के द्वारा बीपीएल राशन कार्ड तैयार कराया गया एवं स्वयं निरस्त कराने का आवेदन पत्र दिया गया। इस आधार पर तत्कालीन एसडीएम के द्वारा इसे निरस्त किया गया। आरोपी के द्वारा प्रस्तुत किया गया घोषणा पत्र को नगर पालिका द्वारा प्रदाय नहीं किया गया था। आरोपी के विरूद्ध दस्तावेज एवं साक्षियों के कथन के आधार पर शासन की योजना के अंतर्गत अवैध लाभ अनुचित तरीके सके प्राप्त किया। आरोपी के विरुद्ध धारा 3/7 आवश्यक वस्तु अधिनियम एवं धारा 420 भादवि का अपराध पाये जाने से संपूर्ण जांच के बाद अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
प्रकरण में अभियोजन की ओर सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्रीमती कुमुदसिंह सेंगर द्वारा शासन की ओर से पैरवी कर साक्ष्य लेखबद्ध कराई गई। न्यायालय द्वारा विचारण उपरांत साक्ष्य के आधार पर एवं अभियोजन के तर्को से सहमत होते हुए आरोपी मनोज पिता देवीलाल यादव को धारा 420 भादवि में 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000/- रुपयें के अर्थदण्ड एवं धारा 3/7 आवश्यक वस्तु अधिनियम एवं में 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000/- रुपयें के अर्थदण्ड दण्डित किया गया।