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Ratlam News: रतलाम में क्रूजिंग तकनीक से बना पहला रेल इंजन दौड़ेगा पटरियों पर, 120 की स्पीड में भी नहीं लगेगा झटका

 

Ratlam News: मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में क्रूजिंग तकनीक से पहले इंजन तैयार कर लिया गया है। इस इंजन की खास बात यह है कि रेल पटरी पर 120 किलोमीटर की स्पीड से दौड़ने पर भी ट्रेन यात्रियों को झटका महसूस नहीं होगा।

पाठकों को बता दें कि 
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रतलाम रेल मंडल के दाहोद स्थित रोलिंग स्टॉक कारखाने में बनाई गई नई लोको मैन्युफैक्चरिंग वर्कशॉप का लोकार्पण किया। साथ ही यहां बने 9000 हॉर्स पावर क्षमता वाले देश के पहले और सबसे ज्यादा ताकतवर हाईस्पीड इलेक्ट्रिक रेल इंजन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह नया इंजन खासतौर पर माल ढुलाई के लिए बनाया गया है। यह आधुनिक तकनीक के मामले में वर्तमान में मालगाड़ी खींच रहे इंजन से बहुत ज्यादा एडवांस है। यही वजह है कि भारतीय रेलवे भविष्य में इन इंजनों को एक्सपोर्ट भी कर सकता है। सोमवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसका संकेत भी दिया।

यह इसलिए भी संभव है क्योंकि तकनीकी सहयोगी सीमेंस इंडिया के साथ मिलकर रेलवे 11 साल में ऐसे 1200 इंजन का बनाएगा। फिलहाल प्रोडक्शन लाइन पर ऐसे 7 लोकोमोटिव असेंबल किए जा रहे हैं। आने वाले कुछ माह बाद लगभग हर माह एक इंजन और वर्कशॉप पूरी क्षमता से चालू होने के बाद हर माह 8 से 9 इंजन पटरी पर उतरने लगेंगे। पूरा प्रोजेक्ट 20 हजार करोड़ की लागत वाला है। बता दें 20 अप्रैल 2022 में पीएम ने ही वर्कशॉप की आधारशिला रखी थी।

वर्तमान इंजनों से अलग हैं नया दमदार इंजन, 

रतलाम में बने स्पीड 9000 हॉर्स पावर वाले नए इंजन की अधिकतम गति 120 किमी प्रति घंटा है, जबकि वर्तमान में मालगाड़ियां चला रहे इंजन की औसत गति 60 से 100 किमी प्रति घंटा है। ट्रैक सुविधा होने के चलते समयबद्धता के साथ दुर्घटनाओं की आशंका कम होती है। यह भी फिलहाल किसी इंजन में नहीं है।

क्रूजिंग स्पीड तकनीक -एक निर्धारित रफ्तार पर इंजन स्थिर रहता है। झटके नहीं लगते, जिससे यात्रा आरामदायक होती है। यह तकनीक हवाई जहाज में इस्तेमाल की जाती है। पुराने इंजन में नहीं है।

डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम इससे तापमान, ईंधन की मात्रा, तेल का दबाव समेत अन्य जानकारी एक साथ इकट्ठा होकर कैब में दिखती है। खराबी को तुरंत पकड़ा जा सकता है। यह सुविधा वर्तमान में किसी इंजन में नहीं है।

टॉयलेट अभी चल रहे इंजनों में ड्राइवर के लिए टॉयलेट ब्लॉक नहीं होता है। नए इंजन में टॉयलेट ब्लॉक बनाया गया है। अब रेलवे धीरे-धीरे दूसरे इंजनों में भी टॉयलेट ब्लॉक लगा रही है। स्मार्ट फीचर्स जीपीएस -इसमें लाइव लोकेशन के साथ स्पीड समेत अन्य जानकारियों को

रियल टाइम फाल्ट डिटेक्शन - इस तकनीक से इंजन में आने वाली खराबी की सूचना तत्काल कैब पर लगे सिस्टम पर दिखेगी। ड्राइवर तुरंत सुरक्षा कदम उठा सकेंगे। यह तकनीक हाल ही में उत्पादित इंजनों में ही हैं।

कनेक्टेड इंजन सिस्टम -विभिन्न प्रणालियों से जुड़ा होने के कारण इंजन की कार्यक्षमता बेहतर होती है, रखरखाव आसानी से किया जाता है। यह नई तकनीक है, जो पुराने इंजनों में नहीं है।

वाइब्रेशन नहीं चलते समय इंजन से कोई आवाज नहीं आती है। साथ ही वाइब्रेशन भी नहीं होता है। पायलटों की सुविधा के लिए बातानुकूलित केबिन बनाया गया है।

जनरेटर चलते समय इंजन ओएचई से करंट लेता है। खड़ा होने पर इंजन जनरेटर बन जाता है, जिससे ट्रेन में बिजली की सप्लाई होती है। अभी के इंजनों में यह सुविधा नहीं हैं।