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भोपाल मंडल में अब  ट्रेनें सिग्नल के इंतजार में नहीं होगी लेट, ऑप्टिकल फाइबर से मिलेगा सिग्नल

 

पश्चिम मध्य रेलवे के भोपाल मंडल से गुजरने वाले ट्रेनें अब सिग्नल के इंतजार में लेट नहीं होंगी। सिग्नल संबंधी दिक्कत खत्म करने भोपाल के निशातपुरा यार्ड में देश में पहली बार ऐसी तकनीक शुरू की है। 

इसमें सिग्नल्स का ऑपरेशन तारों से नहीं, ऑप्टिकल फाइबर से होगा। इससे सिग्नल्स तेज और सुरक्षित होंगे। लैम्प आउटपुल मॉड्यूल तकनीक में कंट्रोल रूम से सिग्नल तक ऑप्टिकल फाइबर के जरिए सिग्नल भेजा जाता है।


नए सिस्टम के इतने फायदे
यह नई सिग्नल तकनीक है। इसमें रेलवे ट्रैक पर लगे सिग्नल फाइबर लाइन से कंट्रोल होंगे।

इसमें भारी वायरिंग नहीं होगी, सब फाइबर से होगा। इससे सिग्नल तेजी से काम करेगा।

 सिग्नल कभी ब्लैंक नहीं होंगे, यानी यदि एक सिग्नल में गड़बड़ आई तो भी ट्रेन को सिग्नल का आस्पेक्ट दिखाई देगा।

 ट्रेनें ज्यादा सुरक्षित और समय पर चलेंगी।

 सिस्टम के साथ स्वचालित पंखा भी जुड़ा है। यह खुद चालू होकर मशीन को गर्म होने से बचाता है।

यदि एक लाइन खराब हो जाए तो दूसरी लाइन से काम चलता रहेगा, सिस्टम कभी नहीं रुकेगा।

जून 2026 तक पूरे रेलखंड में यही सिस्टम। अभी दो सिग्नलों पर निशातपुरा यार्ड में की है। भोपाल से बीना के बीच इस चरणबद्ध तरीके से लागू करने का काम शुरू हो चुका है।

खराबी की आशंका होगी कम

सीनियर डीसीएम सौरभ कटारिया ने बताया, अभी जो सिग्नल प्रणाली थी, उसमें तारों से सिग्नल कंट्रोल करते थे। इसमें समय लगता था। खराबी की आशंका रहती थी। अब नहीं रहेगी। नई तकनीक ऑप्टिकल फाइबर केबल आधारित है। यह ज्यादा विश्वसनीय और तेज है।