गांवों में सफाई व्यवस्था पड़ी धीमी, कचरा वाहन और कर्मचारी दोनों की कमी
Neemuch News: शहरों की तरह अब गांवों को भी साफ-सुथरा बनाने की योजनाएँ चल रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात संतोषजनक नहीं हैं। भारत स्वच्छता मिशन सिर्फ कागजों और नारों तक सीमित होकर रह गया है। पंचायतों के पास न तो पर्याप्त फंड है और न ही संसाधन। नतीजतन कई गांवों में जगह-जगह कचरे के ढेर दिखाई देने लगे हैं।
जनपद क्षेत्र की 102 पंचायतों में से सिर्फ 31 पंचायतों के पास ही कचरा संग्रहण के लिए वाहन उपलब्ध हैं। अधिकांश पंचायतों में न तो कचरा अड्डे बनाए गए हैं और न ही कचरा उठाने की स्थायी व्यवस्था है। ऐसे में सफाई प्रणाली पूरी तरह प्रभावित हो चुकी है।
प्रतिदिन निकलता है भारी कचरा
बड़ी पंचायतों (4 से 6 हजार की आबादी) से रोजाना लगभग 200 किलो कचरा निकलता है, जबकि 2 से 3.5 हजार जनसंख्या वाली पंचायतों से रोज 50 से 60 किलो कचरा उत्पन्न होता है। कचरा संग्रहण के लिए कुछ पंचायतों को विधायक द्वारा गौण खनिज विभाग से 5 लाख रुपये की सहायता से वाहन दिए गए थे। बताया जाता है कि इनमें से आधी पंचायतों को मुख्यमंत्री के एक कार्यक्रम के दौरान बिना किसी औपचारिक प्रक्रिया के ही वाहन वितरित कर दिए गए थे। वहीं 16 पंचायतें अब भी वाहन से वंचित हैं। सूत्रों का कहना है कि कई पंचायतों ने आवश्यक प्रक्रिया पूरी नहीं की, जिसके कारण वितरण अटका हुआ है। जानकारी है कि जल्द ही शेष पंचायतों को भी वाहन उपलब्ध कराए जाएंगे।
गंदगी से बढ़ रहा संक्रमण
गांवों में जगह-जगह जमा कचरा न केवल बदबू फैला रहा है बल्कि बीमारियों का कारण भी बन रहा है। हाल ही में कलेक्टर ने दौरे के दौरान कई गांवों में गंदगी देखकर नाराजगी जताई थी। एक स्थान पर उन्होंने पंचायत को तुरंत कचरा हटाने के निर्देश दिए, जिसके बाद जेसीबी से गंदगी साफ करवाई गई। लेकिन स्थायी समाधान अभी तक नहीं निकला है।
सफाईकर्मी और फंड की कमी
पंचायत आयुक्त ने निर्देश जारी किए हैं कि पंचायत क्षेत्र में उपस्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक भवन, आंगनवाड़ी केंद्र और पंचायत परिसर में सफाईकर्मी नियुक्त किए जाएं। इनका मानदेय 15वें वित्त आयोग की राशि से दिया जाना है। मगर पंचायतों के सामने दिक्कत यह है कि उसी राशि से उन्हें विकास कार्य भी करने होते हैं। ऐसे में या तो वे विकास कार्य करें या सफाईकर्मी का भुगतान—दोनों काम एक साथ करना मुश्किल हो रहा है।
गांवों के जिम्मेदारों का कहना है कि जिस तरह शहरों में स्वच्छता मिशन के लिए अलग से बजट दिया जाता है, उसी प्रकार पंचायतों को भी अलग से फंड दिया जाए। तभी सफाई व्यवस्था सुचारू रूप से चलाई जा सकेगी।
सफाईकर्मी की नियुक्ति पर जोर
स्वच्छता प्रभारी अधिकारियों का कहना है कि सभी पंचायतों को भारत स्वच्छता मिशन के तहत सफाईकर्मी नियुक्त करने संबंधी पत्र मिल चुका है। फिलहाल मनासा क्षेत्र की 102 पंचायतों में से केवल 31 पंचायतें ही कचरा संग्रहण की सुविधा से लैस हैं। शेष पंचायतों को या तो वाहन उपलब्ध कराए जाने हैं या वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी।