{"vars":{"id": "115716:4925"}}

प्रशासन की नज़री रिपोर्ट 15-20% बताती है, किसान कहते हैं 70-100% फसल बर्बाद

 

Neemuch News: जिले में इस वर्ष खरीफ फसलों पर मौसम की अनिश्चितता और तेज बरसात ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। कई जगह खेतों में खड़ी फसल पानी और कीट के असर से बर्बाद हो चुकी है। प्रशासन द्वारा किए गए प्राथमिक नज़री सर्वे में पंद्रह से बीस प्रतिशत नुकसान बताया गया था, जबकि किसान वर्ग का दावा है कि असल नुक़सान कहीं अधिक है — अधिकांश क्षेत्रों में सत्तर से अस्सी प्रतिशत तक और कुछ स्थानों पर शत प्रतिशत तक फसलें नष्ट हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकृत सर्वे के आदेश दिए हैं, पर राज्य स्तर के औपचारिक आदेश अभी प्रतीक्षित हैं।

मनासा तहसील के गांव अरनियामाली में नाराज़ किसानों ने खराब हो चुकी सोयाबीन की फसल नाले में फेंकवा दी। किसान बताते हैं कि फसल अफलन की स्थिति पर पहुंच चुकी थी और खेत से निकालने पर लागत अधिक आने के कारण कटवाकर फेंकना ही व्यावहारिक विकल्प रहा। कई जगह फसलें पहले सूख चुकी थीं; वहीं जिन खेतों में बार-बार बारिश हुई वहाँ दाने गलन की शिकार हो रहे हैं और गुणवत्ता घट चुकी है।

जिले में जुलाई में हुई समय पर वर्षा ने शुरुआत में सकारात्मक असर दिखाया था, पर अगस्त में बरसात रुकने और बाद में कीटों के प्रकोप ने बढ़वार पर प्रतिकूल प्रभाव डाला। 14-15 अगस्त के बाद फिर शुरू हुई बरसात और सितंबर के पहले सप्ताह में आई तेज वर्षा ने स्थिति और बिगाड़ दी; खेतों में जलभराव से फलियां अंकुरित होने लगीं और पैदावार तथा दानों की गुणवत्ता दोनों प्रभावित हुए।

प्रारंभिक नज़री सर्वे में जिलास्तर पर पंद्रह से बीस प्रतिशत नुकसान का आंकलन आया था, पर फील्ड रिपोर्टें इससे भिन्न संकेत दे रही हैं। जिन किसानों ने पुरानी वैरायटी जेएएस 9560 बोई थी, वहाँ अधिकांश रिपोर्टों के अनुसार साठ से अस्सी प्रतिशत तक और कुछ स्थानों पर शत प्रतिशत तक खराबी दर्ज हुई है। नवीन किस्मों में तीस से पचास प्रतिशत तक घटती पैदावार की सूचनाएं मिल रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि पटवारियों व कृषि टीमों के साथ क्रॉप कटिंग करके ही सटीक आंकड़े मिलेंगे और उसी आधार पर राहत-निर्धारण होगा।

जिले में राजस्व, कृषि और पंचायत विभागों का संयुक्त दल सर्वे कर रहा है और कुछ चुनिंदा गाँवों में नज़री सर्वे पूरा हो चुका है। प्रशासन का कहना है कि जैसे ही शासन स्तर से अधिकृत आदेश मिलेंगे, क्रॉप कटिंग सर्वे शुरू कर दिए जाएंगे और नुकसान का औपचारिक आकलन कर मुआवजा व राहत प्रक्रिया आरंभ की जाएगी। कई किसान प्रशासन की धीमी कार्यप्रणाली और रिपोर्टों के सार्वजनिक न होने से चिंतित हैं तथा तत्काल राहत की माँग कर रहे हैं।

किसानों को चिंता है कि बार-बार फसल बर्बाद होने से खेती से जुड़े ऋण और लागत का बोझ बढ़ जाएगा। इस बार अधिकांश किसान बोवनी, बीज और उर्वरकों पर पहले ही भारी खर्च कर चुके हैं; बार-बार नुकसान से उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है। जहाँ फसल आंशिक रूप से बची है, वहाँ किसान कटाई शुरू कर रहे हैं ताकि पानी और नमी से दाने खराब न हों। किसानों ने स्थानीय प्रशासन से बीज, कीटनाशक और नकदी सहायता की मांग की है, साथ ही कटाई के लिए मशीनरी व भंडारण की सुविधा की गुहार लगाई है।

स्थानीय किसान संगठन और ग्राम पंचायत प्रभावित किसानों की सूची बनाने में जुटे हैं ताकि औपचारिक सर्वे के बाद सही हकदारों की पहचान में मदद मिल सके। कृषि विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि भविष्य में ऐसे मौसमीय जोखिमों से निपटने के लिए कृषि बीमा कवरेज बढ़ाना, त्वरित क्रॉप कटिंग टीमों का गठन और आपातकालीन राहत पैकेज लागू करना चाहिए। स्थानीय व्यापारी और श्रमिक वर्ग भी प्रभावित हैं; खराब फसल से ग्रामीण बाजार की गतिविधि घट रही है और मजदूरों को रोजगार की कमी का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन से यह भी अनुरोध किया जा रहा है कि राहत कार्यों के साथ-साथ प्रभावित इलाकों के लिए अस्थाई भंडारण व विपणन व्यवस्था बनायी जाए ताकि किसानों को तत्काल और दीर्घकालिक राहत मिल सके।