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सोयाबीन में पीला मोजेक और अफलन से किसानों की बढ़ी चिंता, बोले– लागत भी नहीं निकलेगी

 

Mandsaur News: क्षेत्र के किसान इस समय नई मुसीबत से जूझ रहे हैं। सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक और अफलन की समस्या फैलने लगी है। पहले ही बारिश की कमी से फसल पर असर पड़ा था, और अब इस रोग ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। उनका कहना है कि जब फसल में फूल और फलियां ही नहीं आएंगी, तो पैदावार कैसे होगी।

गांव के कई खेत पूरी तरह रोग की चपेट में आ चुके हैं। पत्तियां पीली हो रही हैं और पौधे कमजोर पड़ रहे हैं। किसानों का कहना है कि बरसों की मेहनत एक झटके में चौपट हो गई। एक किसान ने बताया कि उनकी एक हेक्टेयर सोयाबीन की फसल लगभग पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। पौधों में इक्का-दुक्का फलियां ही दिखाई दे रही हैं। दूसरे किसान ने बताया कि करीब दस बीघा खेत की फसल प्रभावित है और इतनी उपज नहीं मिलेगी कि लागत भी निकल पाए।

हाल ही में हुई बरसात से किसानों को थोड़ी राहत जरूर मिली थी, लेकिन बीमारी और फलियां न लगने की समस्या ने उम्मीद तोड़ दी। पहले सूखे की चिंता थी, अब फसल के खराब होने का डर सताने लगा है। किसान कह रहे हैं कि लगातार बदलते हालात उनकी मेहनत और लागत पर पानी फेर देते हैं।कृषि वैज्ञानिकों की एक टीम कुछ दिन पहले क्षेत्र का दौरा कर चुकी है। तब बारिश नहीं हुई थी और फसल सूखने की कगार पर थी। अब बारिश के बाद पौधे तो खड़े हो गए, लेकिन उनमें फूल और फलियां नहीं आ रहीं। किसानों के मुताबिक समस्या दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है।

यह परेशानी केवल सोयाबीन तक सीमित नहीं है। उड़द और मूंगफली की फसलें भी रोग की चपेट में आ रही हैं। कई खेतों में पत्तियां पीली पड़ रही हैं और पौधों का विकास रुक गया है। इससे किसानों की चिंता और बढ़ गई है। उनका कहना है कि कृषि विभाग की ओर से अभी तक कोई ठोस दिशा-निर्देश नहीं मिला है। गांवों में अधिकारी समय पर जानकारी और उपचार के तरीके नहीं बता रहे। किसानों का मानना है कि विभाग को गांव-गांव जाकर बीमारी रोकने और बचाव के उपाय बताने चाहिए।

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में अब तक कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं हुई है। जैसे ही किसानों की ओर से आवेदन या रिपोर्ट आएगी, नियमानुसार सर्वे और आगे की कार्यवाही की जाएगी।