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जिले में सोयाबीन फसल पानी में डूबने से किसानों की चिंता बढ़ी, मुआवजे की मांग

 

Mandsaur News: इस साल भी 1000 बीघा से अधिक जमीन पर सोयाबीन की फसल पानी में डूब गई है। खेतों में केवल हरियाली और बेबसी ही नजर आ रही है। किसान फसल को गलने से बचाने के लिए पलंग डालकर उसे पानी में काटने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें डूब क्षेत्र में फसल खराब होने पर मुआवजा दिया जाना चाहिए।

किसानों का कहना है कि वे इस जमीन पर कब्जा लेकर तौनी भरकर खेती करते हैं, लेकिन प्रशासन का कहना है कि डूब क्षेत्र में मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है। इसका विरोध करते हुए किसान पूछ रहे हैं कि जब सरकार उनसे तौनी वसूलती है, तो मुआवजा देने से क्यों पीछे हट रही है।

क्षेत्र के हिंगोरिया बड़ा, आक्यामेड़ी, टिडवास, संजीत, ढाणी, डोरी और खेजड़ी के किसान पिछले कई सालों से डूब क्षेत्र की जमीन पर सोयाबीन की खेती कर रहे हैं। इस बार भी उन्होंने लगभग 500 बीघा जमीन में सोयाबीन बोई थी, जो गांधीसागर का जल स्तर 1310 फीट पार होने पर पानी में डूब गई। किसान अब पानी में पलंग रखकर फसल काट रहे हैं, ताकि कुछ फसल बचाई जा सके।

किसानों ने बताया कि पिछले 6 सालों से इसी तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं। डूब क्षेत्र का जलस्तर कम होने पर वे गेहूं, चना, धनिया, मैथी, तिल्ली जैसी फसलें बोते हैं और गर्मियों में खरबूजे की खेती भी करते हैं। किसान इसे अपनी मेहनत और जोखिम का व्यवसाय मानते हैं, लेकिन इस बार सोयाबीन की फसल पूरी तरह पानी में डूब जाने से उनकी आय प्रभावित हुई है।

किसानों का कहना है कि सोयाबीन उगाने में उनकी काफी लागत लगती है, लेकिन डूब क्षेत्र में फसल पानी में डूब जाने पर उसका कोई लाभ नहीं होता। फिर भी वे फसल निकालकर धूप में सुखाते हैं और प्रेशर मशीन से दाने अलग करते हैं। हालांकि, इतनी मेहनत के बाद भी दाने पूरी तरह पके और स्वस्थ नहीं निकल पाते।

अधिकारी किसानों की इस मांग से अवगत हैं और उन्होंने बताया कि डूब क्षेत्र में फसल खराब होने पर मुआवजा देने का कोई नियम नहीं है। फिर भी किसानों की शिकायतों को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा, ताकि समाधान की दिशा में कदम उठाए जा सकें।

किसानों की यह चिंता हर साल दोहराई जाती है, लेकिन अब वे चाहते हैं कि डूब क्षेत्र की खेती से होने वाले नुकसान का कोई समाधान निकाला जाए, ताकि उनकी मेहनत व्यर्थ न जाए और वे भविष्य में खेती को जारी रख सकें।