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Mandsaur News: मंदसौर के रेशमी वस्त्र का विदेशों तक किया जाता था निर्यात, जिले के गांव बने पूरे देश में आत्मनिर्भरता की मिसाल 

 

Mandsaur News: प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में गांधी जयंती के उपलक्ष्य में इतिहास विभाग ने विशेष व्याख्यान और स्वच्छता शपथ का आयोजन किया। यह कार्यक्रम सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत हुआ। व्याख्यान का विषय 'स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग सांस्कृतिक विरासत और आर्थिक सशक्तिकरण' रहा। आयोजकों ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में स्वदेशी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और स्वच्छ भारत के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना रहा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. जेएस दुबे ने की। उन्होंने विद्यार्थियों को स्वच्छता की शपथ दिलाई और स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने न केवल आजादी की लड़ाई लड़ी बल्कि आत्मनिर्भर भारत की नींव रखी। उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।

गांधीजी ने चरखा और खादी को केवल वस्त्र के रूप में नहीं बल्कि आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया। प्राचार्य ने कहा कि स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करना देशभक्ति का परिचायक है। हर व्यक्ति अगर विदेशी वस्तुओं के स्थान पर भारतीय उत्पादों का चयन करे, तो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।

शोधार्थी जितेंद्र गवारिया ने स्वदेशी विषय पर पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने स्वदेशी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, भारतीय व्यापार की समृद्ध परंपरा, गांधीजी की आत्मनिर्भरता की अवधारणा और वर्तमान सरकार की 'वोकल फॉर लोकल' नीति पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अमूल, पतंजलि और फेब इंडिया जैसे ब्रांड इस नीति के सफल उदाहरण हैं, जिन्होंने भारतीय उत्पादों को विश्व बाजार में पहचान दिलाई।
'हमें अपनी जड़ों की ओर लौटकर स्वदेशी अपनाना होगा।

इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. उषा अग्रवाल ने कहा कि प्राचीन भारत में हस्तनिर्मित वस्त्र, मिट्टी के बर्तन, धातु शिल्प और वस्त्र निर्माण कला विश्वभर में प्रसिद्ध थी। भारतीय गांव आत्मनिर्भरता की मिसाल थे। मंदसौर का ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए उन्होंने बताया कि यहां का रेशमी वस्त्र विदेशों तक निर्यात किया जाता था।

उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में भी हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना होगा और स्वदेशी उत्पादों को अपनाना होगा। इससे न केवल स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। आभार डॉ. शिवकुमार पांडे ने माना। डॉ. राजेश सकवार, शबनम खान, शोधार्थी सुधांशु पांडे सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। सभी ने संकल्प लिया कि वे अपने जीवन में स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करेंगे और स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाएंगे।