सामाजिक सदभाव का प्रतीक है ,गुरु के पंज प्यारे -अभ्यंकर
रतलाम 08 फरवरी(इ खबर टुडे)।13 अप्रेल 1699 को बैसाखी के अवसर पर गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पथ की सर्जना की थी एक बड़े पंडाल सजी हुई सगत में से गुरूजी ने एक के बाद एक पांच सिरो की मांग की थी अलग अलग जातियो तथा भौगोलिक क्षेत्रो से सबंधित पांच सिख गुरूजी को भेट करने के लिए आगे आये थे। गुरूजी ने उनको खडे बाटे का अमृत छकाकर खालसा पथ की स्थापना कर एक जाजम पर बैठाया जहाँ पर वे संतो की ओर गुरुओ की वाणी की सगत करते थे एवं एक साथ बैठकर एक पगत में लगर चखते थे ।
इस प्रकार गोबिंद सिंहजी ने समाजिक समरसता का अदितीय उदाहरण पेश किया। यह विचार राष्ट्रीय स्वयसेवक सघ के प्रांत प्रचारक पराग अभ्यंकर ने स्वर्गीय भवरलालजी भाटी स्मृति व्यख्यान माला समिति द्वारा गुरू गोबिंद सिंह जी के 350वे प्रकाश पर्व के आयोजित व्यख्यान में कहा