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सोयाबीन फसल पर येलो मोजेक का असर, उत्पादन में कमी की आशंका

 

Burhanpur News: ग्रामीण क्षेत्रों में इस साल की सोयाबीन फसल येलो मोजेक रोग से प्रभावित हो रही है। मौसम में लगातार बदलाव और अगस्त में हुई जोरदार बारिश के कारण फसल का विकास असामान्य रहा है। किसानों का कहना है कि लगभग 60 प्रतिशत सोयाबीन की फसल इस रोग से ग्रस्त हो गई है। इसके परिणामस्वरूप पत्तियां पीली पड़ रही हैं और उत्पादन सामान्य से कम होने की संभावना है।

अंबाड़ा क्षेत्र के किसान बताते हैं कि सोयाबीन की सभी किस्मों में यह रोग दिखाई दे रहा है। रोग के चलते फसल असमय पक रही है और इसके कारण किसानों को आर्थिक नुकसान होने का डर है। हजारों रुपए की लागत से बोई गई फसल अब खतरे में है। किसानों का कहना है कि अभी तक किसी अधिकारी ने खेतों का निरीक्षण नहीं किया है, जिससे समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।

सोयाबीन फसल कटाई के लिए लगभग 20 से 25 दिन दूर है। हालांकि येलो मोजेक के कारण उत्पादन में कमी के संकेत मिल रहे हैं। इस रोग के असर से पौधों में पत्तियों की संख्या कम हो रही है और फली कम लग रही है। साथ ही फसल सामान्य समय से पहले पक रही है। इससे किसानों को फसल की लागत निकालने में भी कठिनाई हो सकती है।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि येलो मोजेक के साथ ही मौसम बदलाव के कारण अन्य फसलों पर भी असर पड़ रहा है। केले की फसल पर सीएमवी वायरस और करपा रोग दिखाई दे रहे हैं। कपास में रस चूसक कीटों का खतरा बढ़ गया है। इससे खरीफ की मुख्य फसलों को व्यापक नुकसान होने की संभावना है।

विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि वे खेतों में सफाई रखें और कीटनाशकों का सही तरीके से उपयोग करें। येलो मोजेक रोग के मामले में उचित सर्वे और मुआवजे की भी आवश्यकता है ताकि प्रभावित किसानों को आर्थिक राहत मिल सके।

अंबाड़ा क्षेत्र में लगभग 1500 एकड़ में सोयाबीन की फसल लगी है। इस बार उत्पादन में 25 से 30 प्रतिशत तक की कमी होने की संभावना जताई जा रही है। अगर समय रहते उपाय नहीं किए गए, तो किसानों को आर्थिक और फसल दोनों तरह का नुकसान झेलना पड़ सकता है।

किसानों का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारियों को जल्द ही फसलों का निरीक्षण करना चाहिए और आवश्यक कदम उठाकर मुआवजा देना चाहिए। ताकि किसान अपनी मेहनत और लागत का उचित लाभ प्राप्त कर सकें और आगे की खेती प्रभावित न हो।