मध्यप्रदेश में महिला उद्यमिता, पांच साल में 3.6 लाख समूहों ने खोले व्यवसाय, लेकिन कर्ज की बड़ी हिस्सेदारी बकाया
MP News: मध्यप्रदेश में ग्रामीण महिलाओं के लिए बनाए गए स्वयं सहायता समूह (SHG) अब छोटे-बड़े व्यवसायों के जरिए आर्थिक सशक्तिकरण की नई तस्वीर गढ़ रहे हैं। पिछले पांच साल में 3.6 लाख से अधिक महिला समूहों ने विभिन्न आय-सृजन वाले उद्यम शुरू किए। इनमें 2021-22 का साल सबसे खास रहा, जब रिकॉर्ड 1.38 लाख समूहों ने नए व्यवसाय शुरू किए। इसके बाद संख्या घटकर 2023-24 में 57,788 और 2024-25 में सिर्फ 48 हजार पर सिमट गई।
वहीं, इन महिला समूहों को 2020 से 2025 के बीच कुल 6106 करोड़ रुपए का कर्ज स्वीकृत किया गया। इसमें से 3828 करोड़ रुपए अब भी बकाया हैं, यानी करीब 63% कर्ज की किस्तें अटकी हुई हैं। जानकारों के अनुसार, इसका कारण यह है कि कई समूहों ने उद्यम तो शुरू किए, लेकिन कमाई टिकाऊ नहीं रही। कुछ जगह उद्यम बंद हो गए और कई समूह नियमित किस्त जमा नहीं कर पाए।
प्रदेश में गैर-कृषि उद्यम खोलने में मुरैना और रायसेन की महिलाएं सबसे आगे हैं। बीते साल मुरैना में 1590 और रायसेन में 1393 नए उद्यम शुरू हुए। इसके बाद झाबुआ, सीहोर, गुना, अलीराजपुर, देवास और भोपाल जैसे जिले भी सक्रिय रहे। पांच साल के आंकड़े देखें तो धार, सागर, टीकमगढ़ और खंडवा सबसे ज्यादा उद्यम शुरू करने वाले जिले रहे।
वहीं हरदा, ग्वालियर, छत्तरपुर और शाजापुर जैसे जिले पिछड़े नजर आए। इन जिलों में महिला समूहों ने न तो ज्यादा कर्ज लिया और न ही उद्यमिता के क्षेत्र में पर्याप्त कदम बढ़ाए। कर्ज की रिकवरी में भी बड़े जिले जैसे खंडवा, बालाघाट, रीवा और सतना पीछे हैं। छोटे जिले हरदा, आगर मालवा और दतिया में भी किस्तों की वसूली कमजोर रही।
विशेषज्ञों का कहना है कि महिला समूहों द्वारा शुरू किए गए व्यवसाय सामाजिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, लेकिन कर्ज की अदायगी और उद्यम की टिकाऊ सफलता सुनिश्चित करने के लिए विशेष मार्गदर्शन और प्रशिक्षण की आवश्यकता है।