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Damoh News: दमोह जिले में उर्मिल नदी पर बने स्टॉप डेम में गेट नहीं, पानी का ठहराव न होने से फसलों की सिंचाई प्रभावित

 

Damoh News: गर्मी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। पिछले दो दिन से तापमान में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। इसका असर नदियों और जल स्रोतों पर साफ दिख रहा है। ढड़ारी और आसपास के गांवों में बहने वाली उर्मिल नदी सूखा गई है। नदियों के सूखने से जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है। पंचायत और जिम्मेदार अफसरों ने नदियों के संरक्षण की ओर ध्यान नहीं दिया।

प्रदेश सरकार ने जल गंगा संवर्धन अभियान 30 मार्च से 30 जून तक चलाने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य पुराने जल स्रोतों को बचाना और उन्हें फिर से जीवित करना है। लेकिन गांवों में यह अभियान सिर्फ फोटो खिंचवाने तक सीमित रह गया है। ढड़ारी और ललौनी के बीच बने नाले पर स्टॉप डेम बनाया गया था लेकिन इसमें गेट नहीं लगे। बारिश का पूरा पानी बह जाता है। डेम में पानी का भराव नहीं हो पाता। इसी तरह ढड़ारी, ललौनी, राधेनगर और कतरवारा के बीच से निकली उर्मिल नदी पर बने स्टॉप डेम में भी गेट नहीं हैं। 

मिट्टी-रेत के अवैध खनन के कारण बनीं नदी में खाइयां

उर्मिल नदी की स्थिति पूर्व में अच्छी थी और इनमें गर्मियों के दिनों में भी कल कल बहती थी, लेकिन अब इन नदियों के सरंक्षण को लेकर प्रशासनिक स्तर पर कोई प्रयास नहीं हुई। नतीजतन इन नदियों का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है। हर साल बारिश के दिनों में नदियों में कटाव दौरान में बड़ी मात्रा में इन नदियों से मिट्टी और रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। ग्रामीण अंचलों में हैंडपंपों ने भी अब पानी देना बंद कर दिया है। कभी गांव का जल स्तर लेवल महज 60 से 65 फीट पर हुआ करता था आज वर्तमान में वाटर लेवल 100 के पार हो गया है। यही वजह है कि लोगों ने जल संकट से निपटने के लिए नए बोर करवा लिए गए हैं। 

20 किमी लंबी नदी से 300 किसान जुड़े, बोरवेल भी सूख रहे

इस मामले में पंचायतों के अधिकारियों से भी इसकी मांग कर चुके हैं। फिर भी स्थिति जस की तस है। 20 किमी लंबी उर्मिल नदी से 300 किसान जुड़े हैं। किसान तुलसी कुशवाह्य ने बताया कि बारिश का पानी पूरा बह जाता है। पानी का ठहराव न होने से फसल में किसानों को सिंचाई के लिए पानी आवश्यकता ज्यादा पड़ती है। लेकिन किसानों को पानी नहीं मिल पाता, यदि ढड़ारी और ललौनी के बीच, राधेनगर और ढड़ारी के पास और कतरवारा एवं ललौनी के पास बने स्टाप बांधों के गेट लग जाएं तो, किसानों के साथ क्षेत्र के लोगों को भी इसका फायदा होगा।

गर्मी के मौसम में बोर-वेल्स और नलकूप सूख जाते हैं। अगर स्टॉप डेम में गेट लग जाए तो, नलकूपों का भी जलस्तर बढ़ेगा। जिससे गर्मी के मौसम में लोग पानी के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। जिला मुख्यालय के समीप स्थित ढड़ारी, ललौनी, राधेनगर, कतरवारा, दौरिया, परा गांव सहित अन्य क्षेत्र के किसान उर्मिल नदी के पानी से सिंचाई करते हैं। पानी के ठहराव से किसानों के नलकूप और कुआं का जलस्तर भी बढ़ जाता है।