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पनौठा की कहानी: प्राचीन गढ़ी की दुर्दशा और पलायन की चिंता

 

Chhatarpur News: जो रियासत काल में एक प्रमुख जागीर था, अब विकास और संरक्षण की कमी से जूझ रहा है। गांव में स्थित प्राचीन गढ़ी अब सिर्फ अवशेष के रूप में मौजूद है; प्रवेश द्वार और कुछ हिस्से ही खड़े हैं, बाकी संरचना ढह चुकी है। पुरातत्व महत्व की इस धरोहर का संरक्षण नहीं होने से हर साल इसकी स्थिति और बिगड़ रही है।

गांव की आबादी लगातार बढ़ रही है, लेकिन रोजगार के साधन सीमित हैं। कृषि में सिंचाई और आधुनिक तकनीकों का अभाव होने के कारण किसान सिर्फ रबी और खरीफ फसल उगाते हैं। बड़े किसान जीविका चला पा रहे हैं, जबकि छोटे किसान और मजदूर रोजगार की कमी के कारण गांव छोड़ रहे हैं। वर्तमान में गांव की लगभग 18% आबादी लद्दाख, जम्मू, दिल्ली और पंजाब में काम के लिए पलायन कर चुकी है। लद्दाख में मजदूरी ₹1000 प्रतिदिन मिलने के कारण लोग जोखिम भरे हालात में भी वहां जा रहे हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में पनौठा में एक हायर सेकंडरी स्कूल, दो प्राइमरी स्कूल और एक गर्ल्स मिडिल स्कूल है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता कमजोर है। इसका असर बच्चों की स्किल विकास पर पड़ रहा है। अधिकांश छात्राएं स्कूल छोड़कर पढ़ाई बंद कर देती हैं। केवल बड़े किसान या सरकारी सेवाओं में काम करने वाले परिवार ही अपने बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए छतरपुर भेज पाते हैं।

गांव की जनसंख्या लगभग 6,200 है और साक्षरता दर 61 प्रतिशत है। जिला मुख्यालय छतरपुर से दूरी 12 किमी है और एनएच 39 से कनेक्टिविटी है। प्रमुख आय का स्रोत कृषि है।

पनौठा गांव की समस्या यह है कि प्राचीन धरोहर, रोजगार और शिक्षा तीनों ही क्षेत्र में सुधार नहीं हुआ। यदि शीघ्र उपाय नहीं किए गए, तो न केवल प्राचीन गढ़ी पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी, बल्कि युवाओं का पलायन और बढ़कर गांव की सामाजिक व आर्थिक स्थिति कमजोर कर देगा।