MP-राजस्थान को जोड़ने वाला हाईलेवल ब्रिज हुआ तैयार, अब बाढ़ आने के बाद भी नहीं रुकेगा आवागमन
MP News: मध्यप्रदेश और राजस्थान को जोड़ने वाला बड़ौद और ढीबरी चंबल गांव के बीच कालीसिंध नदी पर 92 करोड़ रुपए की लागत से बना हाईलेवल ब्रिज तैयार हो गया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला 16 जून को इसका उद्घाटन करेंगे। इसके बाद यहां से वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। पुल चालू होने के बाद बारिश में रास्ता बंद नहीं होगा। यह मार्ग मध्यप्रदेश और राजस्थान को सीधा जोड़ता है। इस पुल के बनने से मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच संपर्क सुचारू बना रहेगा। हर दिन यहां से गुजरने वाले हजारों लोगों को राहत मिलेगी।
पीडब्ल्यूडी सुल्तानपुर के एक्सईएन अंकित बिंदल ने बताया कि बड़ौद-ढीबरी कालीसिंध नदी पर उच्चस्तरीय पुल लगभग बनकर तैयार है। थोड़ा कुछ काम बाकी है, जो 5-7 दिन में पूरा हो जाएगा। इसके बाद यह आमजन के लिए खोल दिया जाएगा। यह ब्रिज मध्यप्रदेश के ग्वालियर संभाग को राजस्थान के कोटा संभाग से जोड़ेगा। इससे नदी पार के गांवों के साथ मध्यप्रदेश के लोगों को कोटा तक पहुंचना आसान होगा। 928 मीटर लंबे इस ब्रिज की ऊंचाई 32 मीटर है। इसमें कुल 28 स्पान हैं। पुल को इस तरह बनाया गया है कि तेज बहाव और हल्के भूकंप का असर न हो। दोनों ओर 200-200 मीटर लंबी एप्रोच रोड बनाई जा रही है।
राजस्थान सरकार ने 2023 में हाईलेवल ब्रिज बनाने की मंजूरी दी थी। टेंडर प्रक्रिया पूरी कर सितंबर 2023 में काम शुरू हुआ। पहले इसे अक्टूबर 2024 तक पूरा करना था। तकनीकी खामियों के कारण काम में देरी हुई। अब ब्रिज का निर्माण पूरा हो चुका है। अधिकारियों के अनुसार सभी कार्य पूरे हो चुके हैं। कालीसिंध नदी जिले की अंतिम सीमा पर बहती है। कालीसिंध नदी के पार जिले का इटावा कस्बा है और इटावा खातौली के बाद मध्यप्रदेश की सीमा शुरू हो जाती है।
यह नदी बड़ौद और ढीबरी चंबल के बीच से गुजरती है। पहले यहां एक पुरानी पुलिया थी। बारिश में नदी उफान पर आती थी तो पुलिया डूब जाती थी। पुलिया पर 5 से 7 दिन तक पानी भरा रहता था। इससे रास्ता बंद हो जाता था। ग्रामीण लंबे समय से यहां बड़ी पुलिया की मांग कर रहे थे। प्रतिदिन 10 हजार वाहन इस रास्ते से गुजरते हैं।
इसलिए जरूरी था यह ब्रिज
बड़ौद के पास कालीसिंध नदी पर नवनेरा डैम भी बन चुका है। यह ईआरसीपी योजना के तहत बना पहला बांध है। यह राजस्थान के 13 जिलों सहित अन्य राज्यों को पेयजल और सिंचाई का लाभ देगा। बारिश में जब डैम भरेगा तो पुरानी पुलिया डूब जाएगी। ऐसे में हाईलेवल ब्रिज का काम इस बारिश से पहले पूरा करना जरूरी था।