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मध्य प्रदेश के लगभग 2 लाख से अधिक दैनिक वेतन भोगियों को हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत

 

मध्य प्रदेश के करीब 2 लाख दैनिक वेतन भोगियों (दैवेभो) को हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि अब उन्हें पेंशन का लाभ मिलेगा। खास बात यह है कि नियमित होने के दिन से पहले की 15 साल की सेवा भी पेंशन के लिए मान्य होगी। अभी तक दैवेभो के नियमित होने और रिटायर होने के बाद भी उन्हें पेंशन नहीं दी जाती थी। इस पर कई कर्मचारियों ने हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं। करीब 1000 याचिकाएं लग चुकी थीं। अब कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाते हुए दैवेभो को राहत दी है। जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने सभी दलीलें सुनने के बाद आदेश जारी किया। कोट ने कहा है कि इस आदेश को 60 दिन में लागू किया जाए। इससे रिटायर हो चुके और भविष्य में रिटायर होने वाले

सभी दैवेभो को फायदा मिलेगा।

याचिकाकर्ताओं का तर्क :

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि भर्ती नियम (रूल-7) के अनुसार उनकी सेवा को मान्यता नहीं दी जा रही थी। 27 फरवरी 2023 को हुए संशोधन को उन्होंने कोर्ट में चुनौती दी। वकील एमपीएस रघुवंशी ने कहा- "नियम चाहे जो हो, दैवेभो को पेंशन मिलनी चाहिए। कोर्ट का आदेश इसी पक्ष को मजबूत करता है।'

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2024 में एक ऐतिहासिक फैसले में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी बाद में नियमित हुए हैं तो उन्हें रिटायरमेंट के बाद पेंशन व अन्य लाभ मिलें।

यूपी में इसी माह अध्यादेश लागू किया है। इसके तहत दैनिक वेतन भोगी और संविदा कर्मचारियों को अब पेंशन के लिए दावा करने का अधिकार नहीं दिया गया है। यानी उत्तर प्रदेश में फिलहाल दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है।