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जिला अस्पताल की 50-बेड क्रिटिकल केयर यूनिट दो साल से बंद, मरीज परेशान

 

Damoh News: जिला अस्पताल में गंभीर मरीजों के इलाज के लिए बनाई गई 50-बेड की क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) अब तक शुरू नहीं हो पाई है। करीब ढाई साल पहले इस यूनिट का निर्माण राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत हुआ था। लगभग 16 करोड़ रुपए खर्च किए जाने के बावजूद अभी तक यहाँ डॉक्टर और जरूरी स्टाफ नियुक्त नहीं हुए हैं।

यूनिट में हृदय रोग, गंभीर चोट, आपात सर्जरी और अन्य गंभीर मामलों का तुरंत इलाज किया जाना था। इसके लिए विशेषज्ञ डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति का प्रावधान किया गया था, लेकिन अब तक कोई भी डॉक्टर तैनात नहीं हुआ। जिससे अस्पताल की नई यूनिट पूरी तरह से बंद पड़ी है।

हालांकि यूनिट का ढांचा तैयार हो चुका है और भवन खड़ा हो गया है, लेकिन फिनिशिंग का काम अधूरा होने के कारण हैंडओवर अटका हुआ है। इससे मरीजों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा। अस्पताल में पहले से ही विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। मेडिसिन और सर्जरी जैसे अहम विभागों में केवल एक-एक डॉक्टर तैनात हैं, जबकि अन्य पद खाली हैं।

निजी अस्पतालों में इलाज करना मजबूरी

जिला अस्पताल में गंभीर मरीज आने के बावजूद, नई यूनिट शुरू न होने से मरीजों को बड़े शहरों जैसे जबलपुर, सागर और भोपाल भेजना पड़ रहा है। यह स्थिति गरीब और ग्रामीण मरीजों के लिए भारी परेशानी पैदा कर रही है। कई मरीज मजबूरी में निजी अस्पतालों का सहारा ले रहे हैं।

डॉक्टरों की भारी कमी
जिला अस्पताल में कुल 66 डॉक्टर के पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से 28 पद खाली हैं। इसमें स्त्री रोग, शिशु रोग, नाक-कान-गला, रेडियोलॉजी, दंत और मनोरोग विशेषज्ञ शामिल हैं। दूसरी श्रेणी के 26 पदों में से 8 खाली हैं। चिकित्सा अधिकारी और आयुष चिकित्सक के पद भी अधूरे हैं। नई यूनिट चालू होने पर इन पदों की कमी और अधिक महसूस होगी।

मरीजों का रेफर होना जारी
क्रिटिकल केयर यूनिट न चलने के कारण हर दिन गंभीर मरीजों को अन्य अस्पतालों में भेजा जा रहा है। कुछ मरीज अपनी मर्जी से निजी अस्पतालों में इलाज करवाने जा रहे हैं। इससे मरीजों और उनके परिवारों पर आर्थिक और मानसिक दबाव बढ़ गया है।

यूनिट का वर्तमान हाल
यूनिट का ढांचा तैयार है और बिल्डिंग डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन इसे अस्पताल को जल्द हैंडओवर करेगी। लेकिन फिलहाल डॉक्टर और स्टाफ की अनुपस्थिति के कारण यहां काम शुरू नहीं हो पा रहा। विशेषज्ञ डॉक्टर की नियुक्ति नहीं होने से नए मरीजों का इलाज शुरू करना मुश्किल है।

मरीजों और परिवारों की चिंता
स्थानीय लोग कह रहे हैं कि नई यूनिट बनने का मकसद गंभीर मरीजों की जान बचाना था, लेकिन ढाई साल बीत जाने के बाद भी यह बंद पड़ी है। मरीजों और परिजनों का कहना है कि बिना डॉक्टर और स्टाफ के यूनिट का कोई फायदा नहीं है।

संक्षेप में, जिला अस्पताल की नई 50-बेड क्रिटिकल केयर यूनिट बनकर तैयार है, लेकिन ढाई साल से चालू नहीं होने की वजह से मरीज परेशानी में हैं। विशेषज्ञ डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति के बिना यह यूनिट अपनी भूमिका नहीं निभा पा रही है।