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बमोरी के जंगल पर कब्ज़ा-झगड़ा: भील व भिलाला समुदाय में बीते वर्षों से तनाव, हिंसक टकराव तक पहुँचा

 

Guna News: बमोरी — लगभग 2-3 हजार बीघे में फैली इस वनभूमि को लेकर वर्षों से दो समुदायों में तनातनी जारी है। यह जमीन विशनवाड़ा–कर्राखेड़ा मार्ग के ठीक बीच से होकर गुजरती है और इसके एक तरफ चाकरी गांव जबकि दूसरी तरफ छिकारी गांव बसा है। दोनों गांवों के लोगों का इस इलाके पर अपना-अपना दावा रहा है, जो 2022 से खुलकर विवाद का रूप ले चुका है।

मामला तब तूल पकड़ने लगा जब भिलाला समाज के कुछ लोगों ने वनभूमि के हिस्सों पर आ कर खेती करने और धीरे-धीरे जंगल पर कब्जा बढ़ाने की कोशिशें शुरू कर दीं। चाकरी गांव के लोग इन हिस्सों को अपने पशुओं के चराने के लिए सुरक्षित रखना चाहते थे, इसलिए उन्होंने जमीन पर किसी तरह के अतिक्रमण का विरोध किया। दोनों तरफ के दावों और रोज़मर्रा की ज़रूरतों के कारण रिश्तों में खटास बढ़ती गई और विवाद लगातार उभरता रहा।

2024 में वन विभाग ने क्षेत्र को संरक्षित करने के इरादे से तार के फेंसिंग कराए और पौधे लगवाए, लेकिन वे उपाय पूरी तरह सफल नहीं हो पाए और पेड़-पौधे बच नहीं सके। दोनों गांवों की बस्तियाँ भी इसी वनभूमि के पास ही स्थित हैं — छिकारी में आबादी घनी है जबकि चाकरी के निवासियों का जीवन खेतों और पशुपालन पर निर्भर है। चाकरी के लोग विशेषकर इस बात पर ज़ोर देते रहे कि जंगल की जमीन बनी रहे ताकि उनके मवेशी चर सकें।

बढ़ते तनाव का असर अंततः 9 सितंबर को हिंसक झड़प के रूप में सामने आया। स्थानीय स्तिथि अभी संवेदनशील बनी हुई है और समाधान के लिए ठोस मध्यस्थता, वन विभाग की सक्रिय निगरानी और दोनों समुदायों के बीच संवाद की आवश्यकता है ताकि आगे किसी बड़ी हिंसा से बचा जा सके।