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शहर में आवारा गोवंश की समस्या गंभीर, स्थायी गोशालाओं की दरकार

 

Chhatarpur News: छतरपुर जिले के नगर क्षेत्र में आवारा गोवंश अब एक गंभीर समस्या बन चुकी है। जिले की 15 नगरीय निकायों में एक भी स्थायी गोशाला मौजूद नहीं है। यही कारण है कि शहर की सड़कों पर बड़ी संख्या में गोवंश घूमते रहते हैं। मुख्य मार्गों और प्रमुख सड़कों पर मवेशियों के झुंड आम हो गए हैं, जिससे यातायात बाधित होता है और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।

जिला प्रशासन ने नगर पालिकाओं को निर्देश दिए हैं कि आवारा गोवंश को ग्रामीण क्षेत्रों की गोशालाओं में भेजा जाए या शहर से बाहर निकाला जाए। लेकिन कुछ ही समय में ये मवेशी वापस शहर में लौट आते हैं और समस्या जस की तस बनी रहती है। इससे न केवल सड़क हादसों का खतरा बढ़ रहा है, बल्कि नागरिकों को भी रोजमर्रा की जिंदगी में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

वर्तमान में जिले की नौगांव नगर क्षेत्र में एकमात्र बुंदेलखंड गोशाला है, जो समिति द्वारा संचालित की जा रही है। यहाँ ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों के मवेशी लाए जाते हैं, लेकिन क्षमता से अधिक मवेशियों के आने के कारण संचालक अब नए मवेशियों को रखने से मना कर रहे हैं। स्थानीय लोग भी आरोप लगाते हैं कि गोशाला की आधी जमीन पर खेती की जा रही है, जबकि उसका उपयोग आवारा गोवंश के संरक्षण में किया जा सकता था।

छतरपुर शहर की सड़कों पर—सटई रोड, सागर रोड, महोबा रोड, नौगांव रोड और वाडों—मवेशियों के झुंड आम हो गए हैं। नगर पालिका ने कचरा प्रसंस्करण केंद्र के पास एक छोटी गोशाला आरक्षित की है, लेकिन यहां केवल 50 से 80 मवेशियों को ही रखा जा सकता है। नगर पालिका की टीम नियमित रूप से आवारा गोवंश को पकड़कर शहर से बाहर भेजने का प्रयास करती है, लेकिन यह प्रयास अस्थायी साबित होता है।

पशुपालक भी जिम्मेदारी से पीछे हटते नजर आते हैं। बूढ़े या दूध न देने वाले मवेशियों को खुले में छोड़ दिया जाता है या ग्रामीण क्षेत्रों की गोशालाओं में भेजा जाता है। नागरिकों का कहना है कि यदि पशुपालक मवेशियों को जिम्मेदारी से बांधकर रखें और प्रशासन नगर क्षेत्रों में स्थायी गोशालाओं का निर्माण कराए तो न केवल गोवंश का संरक्षण होगा बल्कि यातायात व्यवधान और सड़क हादसों से भी निजात मिल सकती है।

सटई नगर में बस स्टैंड, तहसील, भभुतिया टेक, भाजपा कार्यालय और बिजावर रोड सहित कई स्थानों पर आवारा गोवंश समस्या बनी हुई है। नजदीकी गोशालाएं खाली हैं, लेकिन नगर से लगभग 5 किलोमीटर दूर एक ही गोशाला उपलब्ध है। स्थानीय लोग लंबे समय से नगर में नई गोशालाओं की मांग कर रहे हैं।

पिछली पशु गणना के अनुसार जिले में कुल 1 लाख 90 हजार 166 गोवंश हैं, जिनमें से लगभग 35 हजार मवेशी आवारा हैं। जिले में कुल 163 गोशालाएं बनाई गई हैं, जिनमें से 127 संचालित हैं और 9 निजी संस्थाओं की हैं। हालांकि प्रशासन का दावा है कि महिला स्व सहायता समूह गोशालाओं का संचालन कर रहे हैं, वास्तविकता यह है कि अधिकांश गोशालाएं केवल कागजों पर ही सक्रिय हैं। इनकी कुल क्षमता लगभग 22 हजार मवेशियों की है, लेकिन संचालन की कमी के कारण अधिकांश मवेशी खुले में घूम रहे हैं।

नगर पालिकाओं के कर्मचारियों के माध्यम से आवारा गोवंश को शिफ्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके बावजूद स्थायी व्यवस्था न होने के कारण मवेशी बार-बार शहर में लौट आते हैं। स्थानीय नागरिक और छात्र समूह इस स्थिति से परेशान हैं। हाल ही में लॉ कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने आवारा गोवंश के लिए नगर में गोशाला निर्माण की मांग करते हुए मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

इस पूरी स्थिति से स्पष्ट है कि आवारा गोवंश का समस्या केवल शहर की सुरक्षा और यातायात की सुविधा से संबंधित नहीं है, बल्कि यह पशु कल्याण और नागरिक जिम्मेदारी का भी मुद्दा है। नगर क्षेत्रों में स्थायी गोशालाओं की स्थापना और जिम्मेदार पशुपालकों की भागीदारी ही इस समस्या का दीर्घकालिक समाधान हो सकता है।