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रजिस्ट्री में हेरफेर कर स्टाम्प शुल्क का 3.19 लाख का नुकसान

 

Damoh News: दमोह में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने जमीन की रजिस्ट्री में हेरफेर कर शासन को स्टाम्प शुल्क से वंचित करने के आरोप में तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपियों में तत्कालीन उप-पंजीयक, क्रेता और विक्रेता शामिल हैं। इस हेरफेर से राज्य को 3 लाख 19 हजार रुपए का नुकसान हुआ है।

शिकायत के अनुसार, दमोह निवासी अजीत अग्रवाल ने ईओडब्ल्यू को जानकारी दी कि तीनों आरोपियों ने रजिस्ट्री के दौरान भूखंड की सीमाओं में बदलाव कर दिया। जमीन को मुख्य सड़क से अलग आंतरिक हिस्से में दिखाया गया, ताकि स्टाम्प शुल्क कम लगे। ईओडब्ल्यू की जांच में पुष्टि हुई कि भूखंड की दिशा और स्थिति जानबूझकर बदली गई थी और इससे अवैध लाभ उठाने की कोशिश की गई।

मामला वर्ष 2018 से 2020 के बीच का है। वर्ष 2018 में लखनलाल पटेल ने 0.71 हेक्टेयर भूमि 57 लाख 73 हजार 500 रुपये में खरीदी थी। दो साल बाद इसे 27 लाख 93 हजार 200 रुपये में जगजीत सिंह वाधवा को बेचा गया। रजिस्ट्री के समय तत्कालीन उप-पंजीयक उल्लास नाखरे की भूमिका संदिग्ध पाई गई और उन्हें भी आरोपी बनाया गया।

जांच में स्पष्ट हुआ कि आरोपियों ने भूखंड को बायपास रोड से जोड़ते हुए रजिस्ट्री में गलत स्थिति में दिखाया। इसके परिणामस्वरूप शासन को स्टाम्प शुल्क का भारी नुकसान हुआ।

ईओडब्ल्यू ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (कूटरचना), 471 (जालसाजी का उपयोग), 120 (बी) (आपराधिक षड्यंत्र) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित 2018) की धारा 7 (सी) के तहत केस दर्ज किया है।

पुलिस अब मामले की गहन जांच कर रही है और सभी आरोपियों की भूमिका की पूरी तरह पुष्टि करने के लिए कागजी कार्रवाई और अन्य सबूत जुटाए जा रहे हैं।