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मध्यप्रदेश सरकार की योजना : वेद पढ़ो, नौकरी पाओ, स्कूल ड्राॅपआउट बच्चों के लिए वेद योजना

 

मध्यप्रदेश सरकार स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से ​शिक्षा देने के लिए अपनी नई योजना शुरू करने जा रही है। इस योजना का नाम वेद दिया गया है। इसके तहत स्कूल ड्रॉपआउट बच्चों को तकनीकी ​शिक्षा देकर उनको नौकरी व स्वरोजगार के योग्य बनाना है। सरकार ने इस योजना के लिए वेद पढ़ो, नौकरी पाओ का स्लोगन भी दिया है। सरकार इस योजना पर खास ध्यान दे रही है। इस योजना के तहत पहले चरण में 1200 विद्या​र्थियों का लक्ष्य रखा गया हे। ऐसे में सरकार बच्चों को वेद पढ़ाकर नौकरी दिलाएगी। इस ​शिक्षा के आधार पर युवा अपना उद्योग भी स्थापित कर सकते हैं। इसके लिए स्कूल ​शिक्षा विभाग पहले प्रदेश के तीन जिलों में वोकेशनल एजुकेशन फॉर ड्रॉप आउट की शुरूआत करने जा रहा है। 


इस योजना के तहत युवाओं को आठ तरह के कौशल सिखाए जाएंगे। इसका संचालन मध्यप्रदेश राज्य ओपन बोर्ड करेगा। इस बार वोकेशनल एजुकेशन को नई राष्ट्रीय ​शिक्षा नीति में अनिवार्य किया गया है। इसी के तहत मध्य प्रदेश सरकार यह पढ़ाई शुरू करने जा रही है। इस योजना के तहत दसवीं कक्षा के समकक्ष पढ़ाई करवाई जाएगी। फिलहाल मध्यप्रदेश सरकार उज्जैन जिले के उज्जैन द​क्षिण, नरसिंहपुर में गाडरवारा और राजगढ़ के सारंगपुर में इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू करेगी। तीनों ही जगह एक-एक सेंटर खोला जाएगा। अगले महीने यानी जून से यहां पर दा​खिलें शुरू हो जाएंगे। 


टाटा इंस्टीट्यूट के साथ अनुबंध
तकनीकी ​शिक्षा विभाग के सचिव रघुराम राजेंद्रन ने यह प्रोजेक्ट बनाया है। उन्होंने कहा कि इसका संचालन राज्य का ओपन बोर्ड करेगा। इसके लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ ​स्किल डेवलपमेंट और पंडित सुंदरलाल शर्मा वोकेशनल एजुकेशन के साथ अनुबंध किया गया है। इन दोनों संस्थाओं के सहयोग से बच्चों को तकनीकी ​शिक्षा दी जाएगी ताकि आगे जाकर वह अपना खुद का उद्यम स्थापित कर सकें। 


दो साल का होगा पाठ्यक्रम
इस वेद योजना के तहत दो साल का पाठ्यक्रम होगा। इसमें प्लंबिंग, इले​क्टि्रकल रिपेयरिंग, फैब्रिक​ डिजाइनिंग, रेफ्रिजरेशन, एयर कंडीशनिंग, इले​क्टि्रक व्हीकल्स रिपेयरिंग जैसी तकनीकी ​शिक्षा दी जाएगी। यह सब्जेक्ट हिंदी तथा संस्कृत भाषा में होंगे। वहीं तीसरे विषय के रूप में अंग्रेजी को भी शामिल किया गया है। पहले थ्योरी कक्षाएं होंगी, उसके बाद प्रै​क्टिकल के लिए 8 प्रयोगशालाएं होंगी। राज्य ओपन बोर्ड के संचालक पीआर तिवारी ने कहा कि ड्रॉप आउट बच्चों के लिए यह तकनीकी ​शिक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण होगी। दो वर्ष की इस तकनीकी ​शिक्षा ग्रहण करने के बाद विद्यार्थी अपना खुद का उद्यम स्थापित कर सकेंगे।