टीकमगढ़ में बिगड़ा ट्रैफिक सिस्टम: न सिग्नल, न चौड़ी सड़क, न नियमों का पालन
Tikamgarh News: टीकमगढ़ शहर में ट्रैफिक की स्थिति दिनोंदिन खराब होती जा रही है। प्रमुख तिराहों और चौराहों पर दिनभर जाम की समस्या बनी रहती है। सुबह से रात तक बाजार में निकलना लोगों के लिए चुनौती बन गया है। भारी वाहनों का बेरोकटोक प्रवेश और नियमों की अनदेखी व्यवस्था को और बिगाड़ रहे हैं।
शहर में सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक बड़े वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित है, लेकिन हकीकत यह है कि बैरिकेड्स को हटा कर ट्रक और ट्रैक्टर आसानी से शहर में आ रहे हैं। कई जगह मिट्टी भरकर ड्रम रखे गए और बोर्ड भी लगाए गए हैं कि उल्लंघन करने पर जुर्माना होगा, मगर जब कोई पुलिसकर्मी मौजूद ही नहीं रहता तो इन नियमों का पालन कौन करवाए?
पुलिस बल की कमी और लापरवाही
ट्रैफिक थाने में करीब 20 पद खाली हैं, जिसके कारण सभी प्रमुख प्वाइंट पर जवान तैनात नहीं हो पाते। यही वजह है कि वाहन चालक गलत दिशा से एंट्री ले लेते हैं और प्रतिबंधित रास्तों पर भी बिना रोक-टोक निकल जाते हैं। अधिकारी भी मानते हैं कि बल की कमी एक समस्या है, लेकिन उससे बड़ी समस्या नगर पालिका की लापरवाही है, क्योंकि सड़कों की हालत और ट्रैफिक सिग्नल की व्यवस्था नगर पालिका की जिम्मेदारी है।
सड़कें संकरी और बिना मार्किंग के
शहर की ज्यादातर सड़कें पहले से ही संकरी हैं। ऊपर से इन पर कोई लाइन मार्किंग नहीं की गई है। वाहन, ठेले और पैदल यात्री सभी एक ही रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में ट्रैफिक सबसे धीमी रफ्तार वाले वाहन के हिसाब से चलने लगता है। अस्पताल चौराहे, गांधी चौक, अंबेडकर तिराहा और सुधासागर तिराहे पर स्थिति सबसे ज्यादा खराब रहती है। यहां से गुजरते समय अक्सर जाम लग जाता है और कई बार हादसे भी हो जाते हैं।
वन-वे सिस्टम ही विकल्प
विशेषज्ञों का मानना है कि शहर की सड़कें चौड़ी करना फिलहाल संभव नहीं है। ऐसे में ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने का सबसे अच्छा तरीका वन-वे सिस्टम लागू करना है। कुछ हिस्सों में वन-वे की व्यवस्था की भी गई है, लेकिन अभी यह पर्याप्त नहीं है। यदि मुख्य बाजार और भीड़भाड़ वाले हिस्सों में इसे पूरी तरह लागू किया जाए तो जाम की समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।
सुरक्षित यातायात अभियान और हकीकत
जिले में सड़क सुरक्षा सप्ताह और विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। इनका उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं को कम करना और लोगों को नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करना है। लेकिन हकीकत यह है कि शहर के अंदर ही नियमों का पालन नहीं हो रहा। कई वाहन चालक हेलमेट और सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करते, गलत दिशा से वाहन निकालते हैं और पुलिस कार्रवाई भी नहीं होती।
नगर पालिका की जिम्मेदारी
यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए सिर्फ पुलिस बल ही नहीं, बल्कि नगर पालिका भी जिम्मेदार है। शहर में न ट्रैफिक सिग्नल हैं और न ही सड़क पर लाइन मार्किंग। बिना इन सुविधाओं के भीड़भाड़ वाले इलाके में ट्रैफिक को नियंत्रित करना मुश्किल है। नगर पालिका अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही कंसल्टेंट नियुक्त कर सिग्नल और मार्किंग की व्यवस्था की जाएगी। इसके आधार पर कार्ययोजना तैयार कर सुधार कार्य शुरू होगा।
लोगों की परेशानियां
स्थानीय लोग कहते हैं कि सुबह-शाम बाजार की तरफ जाना मुश्किल हो गया है। अस्पताल चौराहे और सुधासागर तिराहे पर अक्सर इतना जाम लग जाता है कि एंबुलेंस तक को निकलने में परेशानी होती है। छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए सड़कों को पार करना खतरनाक हो गया है। अगर जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और खराब हो सकती है।
टीकमगढ़ का ट्रैफिक सिस्टम कई समस्याओं से जूझ रहा है—पुलिस बल की कमी, नगर पालिका की लापरवाही, संकरी सड़कें, बिना सिग्नल और बिना मार्किंग। विशेषज्ञ मानते हैं कि सड़कों को चौड़ा करना फिलहाल संभव नहीं है, इसलिए वन-वे सिस्टम और सिग्नल लगाना ही बेहतर उपाय है। जब तक नगर पालिका और यातायात विभाग मिलकर ठोस कार्ययोजना पर काम नहीं करते, तब तक शहर की ट्रैफिक समस्या बनी रहेगी।