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कम बारिश से बड़वानी और पाटी के तालाब खाली, सिंचाई प्रभावित होने का खतरा

 

Badwani News: सितंबर माह खत्म होने से पहले जिले की औसत बारिश का कोटा पूरा हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद बड़वानी और पाटी के छह तालाब अभी भी खाली हैं। जिले में कुल 110 तालाब हैं, जिनमें से बड़वानी के चार और पाटी के दो तालाब जलहीन हैं। इस स्थिति से आगामी गर्मी में सिंचाई प्रभावित हो सकती है।

तालाब ज्यादातर पहाड़ियों के आसपास बने हैं। अफसरों के अनुसार, पहाड़ियों से बहने वाली मिट्टी में गाद जमा होने के कारण जलस्तर लगातार कम हो रहा है। इस वर्ष बारिश पिछले साल की तुलना में कम हुई, जिससे तालाब पूरी तरह नहीं भर पाए। जिले में औसत बारिश 746.3 मिमी रहनी थी, जबकि बड़वानी में अब तक 537.3 मिमी, पाटी में 388.4 मिमी, अंजड़ में 540.3 मिमी, ठीकरी में 765.8 मिमी और निवाली में 1221.6 मिमी बारिश हुई। पिछले साल बड़वानी में 577.1 मिमी और पाटी में 550.3 मिमी बारिश हुई थी।

इन छह तालाबों से 429 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है। बड़वानी के आमल्यापानी से 101 हेक्टेयर, नानी बड़वानी से 121 हेक्टेयर, सिंदी खोदरी से 93 हेक्टेयर और वेगलगांव से 69 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है। पाटी के सेमली और छोटी सेमली तालाब से 45 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है। तालाब पूरा न भरने से गर्मी में सिंचाई पर असर पड़ेगा।

खेती पर भी असर पड़ा है। किसान मंशाराम पंचौले ने बताया कि कपास, सोयाबीन, ज्वार, बाजरा जैसी फसल पककर तैयार है। वे बारिश बंद होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि फसल काटकर बाजार में बेच सकें। यदि बारिश होती है, तो पकी फसल बर्बाद हो जाएगी और दोबारा अंकुरित होने लगेगी, जिससे आर्थिक नुकसान होगा।

शहर और अंजड़ तहसील क्षेत्र में भी सुबह 7.30 से 9.10 बजे तक तेज बारिश हुई। अंजड़ नाके पर बनी नई सड़क की ऊंचाई बढ़ी होने के कारण सड़क का पानी और मिट्टी घरों में घुस गई। पाला बाजार में नाला उफान पर आया और कई घरों तक पानी पहुंचा। बारिश से गरबा मंडलों में भी अव्यवस्था हुई और पकी फसल को नुकसान हुआ।

मौसम वैज्ञानिक डॉ. आरएस सिकरवार ने बताया कि जिले में कोई सक्रिय सिस्टम नहीं है। बादल छाए रहेंगे और कहीं-कहीं हल्की बारिश की संभावना है। उन्होंने किसानों से फसल खुले में नहीं छोड़ने की सलाह दी।

इस प्रकार, कम बारिश और तालाबों के खाली होने से जिले के किसान और सिंचाई प्रभावित क्षेत्र जोखिम में हैं। यदि तालाबों की सफाई और मरम्मत समय पर नहीं की गई, तो आने वाली गर्मी में सिंचाई संकट और फसल नुकसान की संभावना बढ़ जाएगी।