सोयाबीन की फसल पर कीटों का हमला, किसानों को बढ़ा नुकसान का खतरा
Chhatarpur News: जिले में हाल की बारिश के बाद सोयाबीन की फसल ने अच्छी बढ़त पकड़ी थी, लेकिन तेज धूप निकलने के साथ ही कीट और रोगों ने इस पर हमला बोल दिया है। पीला मोजेक, तना मक्खी और इल्ली जैसी समस्याओं से खेतों की हालत बिगड़ने लगी है। कई जगह पौधों की पत्तियां पीली पड़ रही हैं और 20 से 25 प्रतिशत तक नुकसान की आशंका जताई जा रही है। किसान पहले ही खरीफ सीजन में लगातार बारिश से समय पर बोवनी नहीं कर पाए थे, अब इन रोगों ने उनकी चिंता और बढ़ा दी है।
कई ब्लॉकों में दिखा असर
इस साल खरीफ के तहत जिले में करीब 47 हजार हेक्टेयर में ही सोयाबीन बोई गई थी। अब मौसम साफ होने के बाद राजनगर, महाराजपुर और छतरपुर सहित कई इलाकों में फसल पर इल्ली और तना मक्खी का प्रकोप दिखाई दे रहा है। इसके अलावा पत्तियों पर पीले, भूरे और काले धब्बे उभर आए हैं। अगर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में यह समस्या और गंभीर हो सकती है।
विशेषज्ञों की सलाह
कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों ने किसानों को दवा छिड़काव करने की सलाह दी है। यदि फसल में इल्ली है तो प्रोफेक्स सुपर का उपयोग करें (15 लीटर पानी में 30 एमएल)। पीला मोजेक के लिए इमीडा क्लोप्रिड दवा 7 से 10 एमएल प्रति टंकी, जबकि तना मक्खी के लिए प्रोक्लेम या अमेमोमेक्टिन बेंजोएट 5 ग्राम प्रति टंकी डालकर छिड़काव करने की सलाह दी गई है। पत्तियों पर धब्बे दिखें तो साफ या रेडोमिल 25 से 30 ग्राम डालकर छिड़काव करना जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक एकड़ में 8 से 10 टंकी दवा का उपयोग करें तभी असर दिखेगा।
किसानों की परेशानी
राजनगर के किसान रामचरण यादव ने बताया कि उन्होंने 5 एकड़ में सोयाबीन बोई थी, लेकिन पीला मोजेक लगने से पौधे सूखने लगे हैं। लगातार बारिश के कारण पहले ही पौधों का नुकसान हुआ था और अब बीमारी के कारण स्थिति और खराब हो रही है। महाराजपुर क्षेत्र के किसान घनश्याम पटेल और दयाराम पटेल ने बताया कि उनकी फसल में इल्ली ने पत्तियों को पूरी तरह से नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। वहीं नैगुवां गांव के ओमप्रकाश और राम अवतार पाठक ने कहा कि उनकी फसल में तना मक्खी लग गई है, जो पौधे के तने को अंदर से खोखला कर रही है।
मौसम का हाल
खजुराहो मौसम केंद्र के अनुसार अगले दो दिनों में जिले में कहीं-कहीं बादल छाए रहेंगे और हल्की बारिश भी हो सकती है। 4 से 6 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की संभावना है। किसानों का मानना है कि अगर समय पर बारिश हो जाए तो फसल को कुछ हद तक राहत मिल सकती है।
सावधानियां जरूरी
विशेषज्ञों ने किसानों को दवा छिड़काव करते समय पूरी सावधानी बरतने की सलाह दी है। छिड़काव के दौरान मास्क पहनें, पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े डालें और काम खत्म होने के बाद हाथ-पैर और कपड़े अच्छी तरह धोएं। इससे दवा के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।
किसानों के लिए यह खरीफ सीजन दोहरी मार लेकर आया है। पहले बारिश से बोवनी प्रभावित हुई और अब रोगों ने सोयाबीन की उम्मीदों पर पानी फेरना शुरू कर दिया है। यदि समय पर रोकथाम नहीं की गई तो जिले के किसानों को इस बार भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।