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गोपीसागर डेम के गेट खोलने से नदी किनारे गांवों में भयंकर बाढ़

 

Guna News: बुधवार रात जिले के दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों में सीजन की सबसे भारी बारिश हुई। इससे गोपीसागर डेम का जलस्तर अत्यधिक बढ़ गया और इसके सभी गेट 6-6 मीटर तक खोलने पड़े। बीते दो दशकों में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा गया। प्रति मिनट करीब 51.86 लाख लीटर पानी चौपेट नदी में छोड़ा गया, जो तीन घंटे तक जारी रहा। नतीजा यह हुआ कि नदी किनारे आधा दर्जन से अधिक गांवों में पानी घुस गया और खेतों की फसल पूरी तरह तबाह हो गई। एक पुलिया बह गई और कोटा जाने वाला मार्ग बंद हो गया।

सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बांध का मुख्य कैचमेंट एरिया आरोन, बजरंगगढ़ और राघौगढ़ है। बुधवार रात को आरोन में 115 मिमी और राघौगढ़ में 151 मिमी बारिश दर्ज की गई। लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण शाम 7 बजे से देर रात तक विभाग का अमला डेम पर जुटा रहा। नदी किनारे रुठियाई कस्बा और अन्य गांवों में लोगों ने पूरी रात दहशत में काटी। शहर में भी 24 घंटे में 80 मिमी बारिश हुई और भुल्लनपुरा, रशीद कालोनी तथा गुनिया किनारे पानी घुस गया। कई जगहों पर पानी 4-5 फीट तक जमा हुआ।

बुधवार शाम 4.50 बजे सबसे पहले राघौगढ़ में चेतावनी जारी की गई। बीते तीन दिन से लगातार बारिश हो रही थी और बांध पहले से ही फुल था। दो गेट से 40 घन मीटर/सेकंड पानी छोड़ा जा रहा था। बारिश नहीं थमने पर शाम 6.51 बजे एक और गेट खोला गया। डेढ़ घंटे बाद पांचों गेट कुल 7.50 मीटर खोले गए और 11.18 बजे 24 मीटर तक पानी छोड़ा गया। बाद में पांचों गेट 6-6 मीटर तक खोल दिए गए। इतिहास में इससे पहले केवल एक गेट को अधिकतम 7 मीटर तक खोला गया था।

बांध से छोड़े गए पानी के कारण नदी किनारे बसे दावत्पुरा, बृसंगपुरा, बालाभैट, मुरलीपुरा, कोटरा, शेखपुर, भूलांय और कबूलपुरा सहित कई गांव प्रभावित हुए। फसलें बह गईं और घरों में पानी घुस गया। रशीद कालोनी और गुनिया किनारे भी बाढ़ की स्थिति बनी। लक्ष्मीगंज में पुराना मकान गिर गया और सुबह नपा के अमले ने शेष हिस्से को भी तोड़ दिया। भुर्लोय पुल के पास मिट्टी बह जाने से मार्ग बंद हो गया और वाहन आवाजाही में फंसे रहे।

स्थानीय लोगों ने बताया कि रातभर जलस्तर बढ़ते रहने से लोगों को भय और दहशत का सामना करना पड़ा। कई गांवों में लोग जागते हुए बच्चों और संपत्ति की सुरक्षा के लिए सतर्क रहे। सरपंचों और ग्रामीणों ने अधिकारियों से संपर्क किया और गेट धीरे-धीरे बंद करने की सूचना मिली।

अधिकारी बताते हैं कि बारिश के कारण बांध का जलस्तर अचानक बढ़ा और आपातकालीन स्थिति बन गई। ग्रामीणों को चेतावनी देकर सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी गई। सुबह बाढ़ का प्रभाव कम हुआ, लेकिन नुकसान का आकलन जारी है।

गांवों और खेतों में बाढ़ की वजह से लोगों की कठिनाइयाँ बढ़ गई हैं। फसलों और घरों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रशासन ने राहत कार्य शुरू कर दिया है। यदि बारिश और लगातार होती, तो 29 जुलाई जैसी परिस्थितियाँ फिर से बन सकती थीं।