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खरीफ फसलों का बीमा नहीं, 24 लाख किसान किससे मांगेंगे मुआवजा?

 

Burhanpur News: मध्यप्रदेश में किसानों ने इस बार समय पर बोवनी तो कर दी, लेकिन सरकार फसल बीमा का इंतजाम करना भूल गई। राज्य में इस साल 47.12 लाख हेक्टेयर जमीन पर फसल बोई जा चुकी है, लेकिन बीमा का कोई प्रबंध नहीं हुआ है। कृषि विभाग अभी तक यह तय नहीं कर सका कि प्रति हेक्टेयर बीमित राशि कितनी होगी।

यह पहली बार है जब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए जरूरी गजट अधिसूचना जून में जारी नहीं हुई। इसका नतीजा यह हुआ कि बीमा कंपनियां प्रीमियम तय नहीं कर पा रही हैं, जिससे किसानों को समय पर बीमा का फायदा नहीं मिल सका है।

फसल बीमा योजना के नियमों के अनुसार, बीमा का कवरेज बीज बोने से लेकर कटाई और खेत से निकालने के बाद 10 दिन तक होता है। यदि बीमा समय पर हो, तो किसानों को तुरंत नुकसान होने पर भी मुआवजा मिल सकता है। लेकिन अब जब बीमा ही नहीं हुआ, तो नुकसान की स्थिति में मुआवजा मिलना मुश्किल होगा।

इस बार योजना की अधिसूचना में देरी से किसान क्लेम से वंचित हो सकते हैं। बीमित राशि का निर्धारण इस योजना के तहत सबसे अहम है, क्योंकि यह नुकसान की स्थिति में क्लेम के मूल्य को प्रभावित करता है। इसके अलावा, बैंक भी उलझन में हैं क्योंकि किसान के खाते से प्रीमियम काटने की प्रक्रिया भी अटकी हुई है।