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मूंग खरीदी लक्ष्य से दोगुनी, किसानों का 800 करोड़ भुगतान अटका

 

MP News: मध्यप्रदेश में इस बार मूंग उपार्जन उम्मीद से कहीं अधिक हुआ है। खरीदी पूरी हुए लगभग तीन सप्ताह बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी करीब 33 हजार किसानों को भुगतान का इंतजार करना पड़ रहा है। लगभग 800 करोड़ रुपये किसानों के खाते में जाना बाकी है। सरकार प्रतिदिन करीब 100 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर रही है, ऐसे में अनुमान है कि सभी किसानों तक राशि पहुँचने में अगले 7 से 10 दिन लग सकते हैं।

लक्ष्य से दोगुना उपार्जन

केंद्र सरकार ने प्रदेश को 3.51 लाख मीट्रिक टन मूंग खरीदी का लक्ष्य दिया था। लेकिन राज्य सरकार ने निर्धारित लक्ष्य से अधिक 7.65 लाख मीट्रिक टन मूंग की खरीदी कर ली। यानी लगभग 4.14 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त मूंग खरीदी गई। इस वजह से प्रदेश सरकार पर 3500 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा। वर्तमान में जैसे-जैसे राज्य सरकार मार्कफेड को धन उपलब्ध करा रही है, वैसे-वैसे किसानों को भुगतान हो रहा है।

चार जिलों में पेमेंट पर संशय

नर्मदापुरम, सागर, रायसेन और जबलपुर जिलों के किसानों की चिंता सबसे ज्यादा है। यहाँ वेयरहाउस कॉर्पोरेशन की जांच में कई जगह अमानक मूंग पाई गई है। नियम के अनुसार यदि किसी स्टेक (2-3 हजार क्विंटल के ढेर) में खराब उपज निकलती है तो पूरा स्टेक रिजेक्ट कर दिया जाता है। इससे कई किसानों का भुगतान फंस सकता है, भले ही उनकी मूंग मानक हो। अनुमान है कि लगभग 200 से 250 करोड़ रुपये का भुगतान अटक सकता है।

हजारों किसान खरीदी से बाहर रहे

इस बार 3.62 लाख किसानों ने मूंग बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन समर्थन मूल्य पर खरीदी केवल 2.72 लाख किसानों से ही हो सकी। यानी लगभग 90 हजार किसान खरीदी प्रक्रिया से बाहर हो गए। बरसात के बीच खरीदी होने के कारण कई केंद्रों पर मूंग भीग गई और गुणवत्ता खराब होने से बड़ी मात्रा रिजेक्ट भी हो गई। 21 जुलाई के बाद स्लॉट बुकिंग बंद कर दी गई, जिसके कारण किसानों में नाराजगी रही।

किसानों की नाराजगी

किसानों का आरोप है कि सरकार पहले से ही खरीदी सीमित रखने के मूड में थी, इसलिए इस बार बार-बार दिक्कतें आईं। अब सबसे बड़ी चुनौती लंबित भुगतान को समय पर जारी करने की है।