मप्र में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन का बड़ा कदम, अब तक 289 इकाइयां चालू
MP News: मध्यप्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण फेज-II (जनवरी 2022 से दिसंबर 2025) के तहत प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयों (पीडब्ल्यूएमयू) की स्थापना की जा रही है। इन इकाइयों पर केंद्र सरकार प्रति इकाई 16 लाख रुपये तक खर्च कर रही है। इसका उद्देश्य ग्रामीण इलाकों से निकलने वाले प्लास्टिक कचरे का वैज्ञानिक निपटान और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करना है।
भोपाल जिले में क्लस्टर आधारित मॉडल के तहत 222 ग्राम पंचायतों में सफाई मित्र घर-घर से कचरा इकट्ठा कर इसे एमआरएफ इकाई तक पहुंचाते हैं। वहां से प्लास्टिक कचरे का उपयोग सड़क निर्माण और सीमेंट फैक्ट्रियों में किया जाता है। मंडला और फना जिलों में भी प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयां स्थापित करने का लक्ष्य तय किया गया है।
अधिकारियों के अनुसार, अब तक प्रदेश में 289 इकाइयां कार्यशील हैं। इंदौर में 45 और धार में 16 इकाइयां सबसे अधिक हैं। राक्सेन में 9, ग्वालियर में 7, भोपाल में 6, देवास में 4, भिंड में 3, खंडवा, टीकमगढ़ और उज्जैन में 2-2, जबकि दमोह, गुना और नीमच में एक-एक इकाई स्थापित है।
इकाइयों के संचालन में पंचायतों को उपयुक्त जमीन उपलब्ध करानी होगी। जिला पंचायत और स्थानीय निकाय उनकी देखरेख करेंगे। मशीनरी और संचालन का खर्च राज्य और पंचायतों को मिलकर उठाना होगा। नीति के अनुसार, इकाई में 5 से 10 सफाई मित्रों की नियुक्ति होगी और कचरा संग्रहण, छंटाई और निपटान की पूरी प्रक्रिया दर्ज की जाएगी। समय-समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य है। नियमों का उल्लंघन होने पर अनुदान रोक दिया जाएगा।
प्रदेश के कई जिलों में अब तक इकाइयां नहीं लगी हैं, वहां तीन महीने के भीतर इन्हें स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस प्रयास से न केवल प्लास्टिक कचरे का निपटान होगा, बल्कि ग्रामीण इलाकों में साफ-सफाई भी सुनिश्चित होगी।