मध्य प्रदेश भावांतर योजना : अब मंडियों से हर 15 दिन में तय होंगे सोयाबीन के मॉडल रेट
मप्र में सोयाबीन किसानों को राहत देने भावांतर योजना फिर शुरू की गई है। रजिस्टर्ड किसान 1 नवंबर से 31 जनवरी तक मंडियों में फसल बेच सकेंगे। हर 15 दिन की बिक्री के बाद प्रदेश की सरकारी मंडियों के औसत रेट के आधार पर एक मॉडल रेट तय होगा।
अगर यह मॉडल रेट न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम रहा, तो सरकार अंतर की राशि सीधे किसानों के खाते में डालेगी। वर्तमान में मंडियों में सोयाबीन 3000 से 4000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बिक रहा है।
ऐसे ते होगा मॉडल रेट
10 से 25 अक्टूबर तक रजिस्ट्रेशन के बाद किसान 1 नवंबर से मंडियों में सोयाबीन बेच सकेंगे। हर 15 दिन में बिक्री के आधार पर प्रदेश स्तर पर एक मॉडल रेट तय होगा।
उदाहरण के लिए 1 से 15 नवंबर के बीच प्रदेश में 10 लाख मीट्रिक टन फसल बिकी, जिसमें से 6 लाख मीट्रिक टन की बिक्री 4500 रु./क्विंटल पर हुई, तो वही मॉडल रेट माना जाएगा। यदि है, तो 828 रु. प्रति क्विंटल एमएसपी 5328 रु. है, तो का अंतर किसानों के खाते में डाला जाएगा। भले ही किसी किसान ने 4000 या 4200 रुपए में फसल बेची हो, उसे भी यही अंतर मिलेगा।
पहले इस प्रकार तय किया जाता था मॉडल रेट
पहले तीन राज्यों के भाव से तुलना होती थी, जिससे मप्र में मॉडल रेट प्रभावित होता था। अब सिर्फ प्रदेश की सरकारी मंडियों के आधार पर रेट तय होगा।
मुख्यमंत्री ने भावांतर योजना की घोषणा हाल ही में तब की, जब लगातार गिरते भाव से किसान परेशान थे। पिछले साल 52 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था, लेकिन इस बार भारी बारिश के कारण 10 से 15% तक उत्पादन घटने की आशंका जताई जा रही है।
मंडी बोर्ड के अनुसार, 1 अप्रैल से प्रदेश की सभी मंडियां ई-मंडी सिस्टम से जुड़कर पूरी तरह ऑनलाइन हो चुकी हैं। अब मंडियों में होने वाली हर खरीदी कैमरों की निगरानी में एक तय कमरे में ही की जाएगी। इससे रेट को लेकर विवाद की संभावना कम होगी और पारदर्शिता बनी रहेगी। ऑनलाइन डाटा से यह भी स्पष्ट होगा कि किस व्यापारी ने कितना माल खरीदा। इससे वही माल दोबारा दूसरी बिक्री में दिखाने की गुंजाइश बेहद कम हो जाएगी। यदि कोई किसान मंडी के बाहर ई-अनुज्ञा के जरिए फसल बेचता है, तो रिकॉर्ड भी मंडी बोर्ड के सिस्टम में दर्ज हो जाएगा।