बेटी की पहली संतान पर कालका माता को चढ़ाया जाता है श्रीफल, देरी गांव की अनोखी परंपरा
Tikamgarh News: टीकमगढ़ जिले से 55 किलोमीटर दूर स्थित देरी गांव में एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। यहां की बेटियों का विवाह कहीं भी हो, लेकिन जब उन्हें पहली संतान होती है तो वे कालका माता मंदिर में श्रीफल चढ़ाकर आशीर्वाद लेती हैं। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। ग्रामीण इसकी शुरुआत के बारे में अधिक नहीं जानते, लेकिन इसे आज भी पूरी श्रद्धा से निभाते हैं।
गांव में स्थित कालका माता मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर बना है, जहां तक पहुंचने के लिए संकरी सीढ़ियों से होकर जाना होता है। नवरात्र के दौरान पंचमी, अष्टमी और नवमी को यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
देरी गांव की पहचान उसके प्राचीन नरसिंह मंदिर से भी जुड़ी है, जो गांव के बीच पहाड़ी पर स्थित है। माना जाता है कि भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध दहलीज (स्थानीय भाषा में 'देरी') पर किया था, जिससे गांव का नाम पड़ा। यह मंदिर करीब 200 साल पुराना है और यहां नियमित पूजा होती है।
गांव की कुल आबादी लगभग 9500 है और साक्षरता दर 80 प्रतिशत के करीब है। गांव में रोजगार के साधनों की कमी है, जिससे अधिकतर लोग खेती और मजदूरी पर निर्भर हैं। परंपरागत फसलों के अलावा अब किसान फल-सब्जियों की खेती भी करने लगे हैं। देरी गांव का प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक आस्था और परंपराएं इसे खास बनाती हैं।