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पितृपक्ष में जुगल किशोर का अनोखा विधान, भगवान ने धारित किए सफेद वस्त्र और जनेऊ

 

Chhatarpur News: पन्ना के जुगल किशोर मंदिर में पितृपक्ष के पंद्रह दिनों के दौरान एक विशिष्ट परंपरा निभाई जाती है। यहाँ भगवान जुगल किशोर और राधा रानी को सफेद वस्त्र पहना कर प्रतिदिन स्नान, आरती तथा तर्पण करवाया जाता है। इस वर्ष भी पुजारी की उपस्थिति में यह रीति चल रही है और विग्रह को विधिवत् सजाया जा रहा है।

मान्यता है कि पितृपक्ष के इन दिनों में पितरों का स्मरण कर जल, भोजन व अक्षत अर्पित करने से उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट होती है। मंदिर में पूजा सामग्री के रूप में काला तिल, जौ, अक्षत, सफेद फूल, गाय का कच्चा दूध तथा तांबे का लोटा प्रमुख रूप से प्रयोग किया जा रहा है। देवताओं के हाथ में कुशा व जनेऊ रखकर तर्पण का अनुष्ठान किया जाता है।

परिधान स्थानीय दर्जी द्वारा तैयार किए गए हैं; तीन दिनों में बने इन सफेद वस्त्रों में लेस, गोटा व बकरम का प्रयोग हुआ है। तैयार परिधान की लागत लगभग पाँच हजार रुपये बतायी गयी है और यह न्यूनतम खर्च में भी आकर्षक दिखते हैं।

पूजा का आरम्भ प्रात: पाँच बजे होता है स्नान, मंगल आरती और तर्पण की क्रमबद्ध प्रक्रिया होती है। मंदिर में इन पंद्रह दिनों में प्रत्येक सुबह भक्तों की अच्छी संख्या रहती है जो भगवान के विशिष्ट वेश के दर्शन के लिए आते हैं। कई श्रद्धालु इस अवसर को विशेष मानते हुए अपनी पारिवारिक परंपराओं के अनुसार दान और तर्पण करते हैं।

पुजारी व मंदिर प्रबन्धक कहते हैं कि यह रीति धार्मिक रिवाज़ के साथ-साथ सामाजिक स्मरण का प्रतीक भी है। पन्द्रह दिन के दौरान व्यवस्थाएँ सुचारु रखने के लिए विशेष इंतजाम होते हैं ताकि श्रद्धालुओं को सुविधाजनक पूजा-अर्चना मिल सके।

समारोह के दौरान मंदिर परिसर में विशेष साफ-सफाई, सजावट और श्रद्धालु सेवा के भी इंतजाम किए जाते हैं। कुछ दिन विशेष प्रतिनिधियों द्वारा भोग और प्रसाद वितरण का आयोजन होता है, जबकि स्थानीय युवा-स्वयंसेवक भी व्यस्त रहते हैं। बच्चे और बुजुर्ग दोनों ही इसमें बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं; बुजुर्गों के अनुभव और बच्चों की उत्सुकता इस अनुष्ठान को पीढ़ी-दर-पीढ़ी संजो कर रखती है।