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मध्य प्रदेश में साइबर ठगी का बढ़ता खतरा: सोशल मीडिया और बैंकिंग फ्रॉड से युवा सबसे ज्यादा शिकार

 

MP News: मध्य प्रदेश में पिछले साढ़े तीन साल में साइबर अपराध के 3541 केस दर्ज किए गए हैं, जिनमें से सिर्फ 1966 मामलों का ही समाधान हो सका है। करीब 1575 केस अब भी लंबित हैं। औसतन हर दिन राज्य में तीन साइबर अपराध के केस दर्ज हो रहे हैं। ठगों के सबसे ज्यादा निशाने पर युवा हैं। अब तक 2464 युवक और युवतियां साइबर अपराध का शिकार बन चुके हैं। इसके अलावा 279 वरिष्ठ नागरिकों को भी धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा है।

राज्य में सबसे ज्यादा मामले सोशल मीडिया दुरुपयोग और धोखाधड़ी से जुड़े हैं। कुल 1608 मामलों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए लोगों को फंसाया गया। वहीं 912 बार अन्य तरीकों से ठगी की गई और 466 मामलों में बैंकिंग फ्रॉड हुए। इसके अलावा 54 केस फेक वेबसाइट, और 15-15 केस ई-कॉमर्स व ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े हुए हैं।

हर साल औसतन 700 से ज्यादा युवा ठगों का निशाना बन रहे हैं। 2022 में 717, 2023 में 703 और 2024 में 700 युवाओं को नुकसान हुआ। साल 2025 के शुरुआती सात महीनों में ही 344 युवा साइबर फ्रॉड का शिकार हो चुके हैं। इसी दौरान 310 से ज्यादा वृद्ध नागरिक भी ठगी के शिकार हुए हैं।

राज्य में साइबर ठगी रोकने के लिए भोपाल में हाईटेक साइबर थाना बनाया गया है। इसके अलावा इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर और जबलपुर में साइबर जोन ऑफिस कार्यरत हैं। बाकी जिलों में फिलहाल स्वतंत्र साइबर थाना नहीं हैं। वहां पुलिस अधीक्षक कार्यालय के अंतर्गत नोडल साइबर टीमें जांच करती हैं। इन्हें विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

फिर भी साइबर ठगी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। जागरूकता और तकनीकी संसाधनों की और भी जरूरत है।