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जिले में अस्पताल बनके तैयार, लेकिन डॉक्टर और स्टाफ का इंतजार जारी

 

Badwani News: जिले में लाखों लोगों की सेहत कुछ गिने-चुने डॉक्टरों और सीमित स्टाफ पर टिकी हुई है। वर्षों से विशेषज्ञ और चिकित्सा अधिकारियों की कमी बनी हुई है। सरकार ने करोड़ों की लागत से कई नए भवन तैयार कर दिए हैं, लेकिन उनमें इलाज करने के लिए पर्याप्त डॉक्टर और स्टाफ आज तक नहीं मिल पाए। नतीजतन जिले के आधे से ज्यादा स्वीकृत पद खाली हैं और जो डॉक्टर मौजूद हैं, उन्हें कई अस्पतालों में एक साथ जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है।

ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति

नगरीय क्षेत्रों के साथ-साथ गांवों में भी सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं। कहीं-कहीं तो एक ही डॉक्टर को चौबीसों घंटे सेवा देनी पड़ रही है। पलसूद, सिलावद, राजपुर और अंजड़ जैसे क्षेत्रों में यही हाल है। डॉक्टरों को ओपीडी के साथ-साथ आपातकालीन सेवाएं, एमएलसी और यहां तक कि पोस्टमार्टम का काम भी करना पड़ता है। विशेषज्ञों की कमी से गांवों के मरीजों को जिला मुख्यालय या फिर निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है।

नए कलेक्टर ने पदभार संभालते समय स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था में सुधार का आश्वासन दिया है। अब उम्मीद है कि स्वास्थ्य सेवाओं में बदलाव देखने को मिलेगा।

मंडवाड़ा का अस्पताल सिर्फ नाम का

मंडवाड़ा में करीब 1.84 करोड़ की लागत से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन तैयार किया गया। यहां दो बार लोकार्पण भी हो चुका है, लेकिन डॉक्टर और स्टाफ न मिलने से यह अस्पताल आज भी बंद पड़ा है। भवन के चारों ओर घास उग आई है। मंडवाड़ा और आसपास के 15 गांवों के 30 हजार से ज्यादा लोग अब भी इलाज के लिए अंजड़, तलवाड़ा डेब या राजपुर जैसे दूरस्थ स्थानों पर जाने को मजबूर हैं।

ब्राह्मणगांव में अधूरा भवन

ठीकरी ब्लॉक के नर्मदा किनारे बसे ब्राह्मणगांव में नया स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया, लेकिन काम अधूरा रह गया। पिछले एक साल से निर्माण बंद है। डॉक्टर पुराने छोटे भवन में ही मरीजों को देख रहे हैं। बीएमओ का कहना है कि भवन का छोटा-मोटा काम बाकी है, जिसे 15 दिन में पूरा करने के बाद संचालन शुरू कर दिया जाएगा। यहां ब्राह्मणगांव सहित आसपास के कई गांवों के लोग इलाज कराने आते हैं।

विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी

जिले में चिकित्सा सेवाओं की स्थिति का अंदाजा खाली पड़े पदों से लगाया जा सकता है। द्वितीय श्रेणी के 88 स्वीकृत पदों में से केवल 48 पर ही डॉक्टर कार्यरत हैं। बीएमओ के 7 में से 2 पद खाली हैं। शल्य चिकित्सक के सभी 15 पद खाली पड़े हैं। स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ के 15 में से 13 पद रिक्त हैं। मेडिसिन विशेषज्ञ के 15 में से 14, शिशु रोग विशेषज्ञ के सभी 9, निश्चेतना विशेषज्ञ के 8 और रेडियोलॉजी व दंत चिकित्सा विशेषज्ञ के दोनों पद खाली हैं। इसके अलावा दंत शल्य चिकित्सक के 14 में से 10 पद भी रिक्त हैं।

संजीवनी क्लिनिक भी अटके

लोगों को मोहल्ले में ही इलाज उपलब्ध कराने के लिए संजीवनी क्लिनिक खोले गए थे। बड़वानी, सेंधवा, राजपुर, अंजड़ और निवाली में भवन बने हैं, लेकिन इनमें से केवल तीन जगह ही क्लिनिक संचालित हो रहे हैं। बाकी स्थानों पर स्टाफ की कमी के कारण यह सुविधा शुरू नहीं हो पाई।

आगे की राह

स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जिले में बांडेड डॉक्टरों की तैनाती कर सुविधाएं शुरू की जाएंगी। मंडवाड़ा में जल्द डॉक्टर भेजकर अस्पताल को शुरू करने की तैयारी है। संजीवनी क्लिनिक और नए अस्पताल भवनों के लिए भी शासन स्तर से स्टाफ उपलब्ध कराया जाएगा। प्रशासन का दावा है कि कार्ययोजना बनाकर जल्द सेवाएं शुरू कराई जाएंगी।