कूनो टाइगर-चीता कॉरिडोर पर हाईवे निर्माण ठप, एलिवेटेड रोड को लेकर वन-एनएचएआई टकराव
Shyokpur News: नेशनल हाइवे 552 का विस्तार, खासकर दूसरे और तीसरे चरण का निर्माण कूनो नेशनल पार्क के टाइगर-चीता कॉरिडोर पर वन विभाग और एनएचएआई के बीच टकराव के कारण ठप हो गया है। गोरस-श्यामपुर और श्यामपुर-सबलगढ़ सेक्शन में लगभग 22 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में वन्यजीवों की आवाजाही को सुरक्षित बनाने के लिए वन विभाग ने हाईवे को एलिवेटेड बनाने की मांग की है। कूनो प्रबंधन ने 13 चिन्हित स्थानों पर एलिवेटेड स्ट्रक्चर बनाने पर ही एनओसी देने की शर्त रखी है।
वन विभाग का तर्क है कि बिना एलिवेटेड रोड के निर्माण से तेज रफ्तार सड़क वन्यजीवों के लिए घातक साबित होगी। वहीं एनएचएआई का कहना है कि स्वीकृत डीपीआर में इतने लंबे एलिवेटेड रोड का कोई प्रावधान नहीं है। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में समन्वय समिति की बैठक भी बेनतीजा रही।
गोरस-श्यामपुर रोड का लगभग 360 करोड़ रुपए का ठेका हो चुका है और ठेका कंपनी ने गैर-वन क्षेत्र में काम शुरू कर दिया है। यदि कॉरिडोर वाले हिस्से में सड़क नहीं बनेगी, तो अधूरा निर्माण किसी काम का नहीं रहेगा और लगभग 200 करोड़ रुपए सार्वजनिक धन बर्बाद होंगे।
वन विभाग ने 700 मीटर से 1280 मीटर तक के 13 एलिवेटेड स्ट्रक्चर बनाए जाने की मांग की है, ताकि टाइगर और चीता जैसी दुर्लभ प्रजातियाँ सुरक्षित आवाजाही कर सकें। अधिकारियों ने कहा कि लंबे एलिवेटेड रोड के लिए नए सिरे से सर्वे, डिजाइन और बजट प्रस्ताव सड़क परिवहन मंत्रालय को भेजना होगा, जो समय लेने वाली प्रक्रिया है और मंजूरी की कोई गारंटी नहीं है।
हाईवे निर्माण में देरी का सीधा असर जनता पर पड़ेगा। अधूरी सड़क और गड्डों के कारण लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। समन्वय समिति ने नेशनल हाइवे और वन विभाग को आदेश दिया है कि वे जल्द से जल्द शासन स्तर से स्वीकृति सुनिश्चित करें और नए एलिवेटेड रोड के प्रस्ताव को समय पर भेजें।
इस परियोजना में देरी से श्योपुर और आसपास के क्षेत्रों के विकास पर भी असर पड़ेगा। वन और सड़क विभाग के बीच चल रहे गतिरोध का हल निकालना आवश्यक है, ताकि वन्यजीवों की सुरक्षा और जनता की सुविधा दोनों सुनिश्चित हो सकें।