बारिश थमने से खेत सूखने लगे, खाद की किल्लत से परेशान किसान
Burhanpur News: जिले में पिछले पांच दिनों से बारिश नहीं हुई है। लगातार तेज धूप और गर्मी के कारण खेत सूखने लगे हैं, खासकर हल्की मिट्टी वाली जमीनों में बोई गई फसलों की हालत खराब हो रही है। अगर जल्द बारिश नहीं हुई और खाद की आपूर्ति नहीं सुधरी, तो फसलें बर्बाद होने लगेंगी। दूसरी ओर, किसान यूरिया, डीएपी और पोटाश के लिए परेशान हैं। सहकारी सोसायटियों पर खाद उपलब्ध नहीं होने से उन्हें निजी दुकानों से ऊंचे दामों में खाद खरीदना पड़ रहा है।
कई गांवों के किसान शहर जाकर यूरिया खरीदने को मजबूर हैं। इससे उनकी लागत बढ़ रही है क्योंकि न सिर्फ खाद महंगी है बल्कि परिवहन पर भी अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि स्थानीय सोसायटी में 15-20 दिन से न यूरिया मिल रहा है, न डीएपी। अगर हालात नहीं सुधरे तो फसल की उपज पर बुरा असर पड़ेगा।
पिछले दिनों भंडारण केंद्र पर भी खाद की कमी देखी गई थी, जिससे कई गांवों के दर्जनों किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ा था। पूरे जिले में यही स्थिति बनी हुई है।
कृषि विभाग का दावा है कि जिले में अभी 9385 मीट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध है, जिसमें यूरिया भी शामिल है। साथ ही, विभाग का कहना है कि मंगलवार को 600 मीट्रिक टन यूरिया और आने वाला है। अब तक जिले में 13,400 मीट्रिक टन यूरिया पहुंच चुका है, जो पिछले साल की तुलना में 1260 मीट्रिक टन अधिक है। इसके बावजूद किसानों को खाद नहीं मिल रही, जिससे वितरण प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
बारिश की कमी का असर अब लोगों की सेहत पर भी दिख रहा है। लगातार गर्मी और उमस के कारण सर्दी, बुखार और अन्य मौसमी बीमारियों के मरीज बढ़ने लगे हैं। अस्पतालों की ओपीडी में अब हर दिन ऐसे मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। बच्चों पर इसका असर ज्यादा देखा जा रहा है।
साथ ही डेंगू और मलेरिया का खतरा भी बढ़ गया है। कई क्षेत्रों में डेंगू के संदिग्ध मरीज मिले हैं। बारिश थमने के बाद जलभराव वाले इलाकों में मच्छर तेजी से पनप रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने अपने मैदानी अमले को अलर्ट किया है और नियमित जांच व जागरूकता के निर्देश दिए हैं ताकि इन बीमारियों को रोका जा सके।