सरकारी गेहूं की नीलामी में उठाव कमजोर, एफसीआई बदलेगी शेड्यूल
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने खुले 'बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की बिक्री की नीलामी प्रक्रिया में बड़ा बदलाव कर दिया है। हर सप्ताह होने वाली ई-नीलामी में उठाव लगातार कमजोर चल रहा है, इसलिए निगम ने नीलामी के बीच का अंतर बढ़ाकर इसे प्रत्येक पखवाड़े में एक बार करने का निर्णय लिया है।
अधिकारियों के मुताबिक यह व्यवस्था पहले कुछ समय के लिए लागू रहेगी, ताकि बाजार की वास्तविक मांग का सही मूल्यांकन किया जा सके। एफसीआई द्वारा जारी जानकारी के अनुसार नीलामी के लिए गेहूं के ऑफर की मात्रा में फिलहाल कोई बड़ा बदलाव नहीं किया जाएगा, लेकिन मिलर्स और प्रोसेसर्स की खरीद रुचि को ध्यान में रखकर आगे की रणनीति तय की जाएगी। इस निर्णय के पीछे मुख्य वजह पिछले कुछ हफ्तों के दौरान नीलामी में उठाव का बेहद कम रहना बताया जा रहा है। पिछले सप्ताह एफसीआई ने नीलामी में 2 लाख टन गेहूं की बिक्री का ऑफर दिया था, लेकिन कुल ऑफर के मुकावले मात्र 36 प्रतिशत हिस्सा ही बिक सका।
यह स्थिति पिछले वर्ष के उलट है, जब सितंबर से शुरू हुई नीलामी में मिलर्स की भारी मांग देखने को मिली थी और लगभग हर सप्ताह ऑफर की पूरी मात्रा बिक जाती थी। इस साल घरेलू बाजार में गेहूं की उपलब्धता बेहतर रहने और कीमतें स्थिर रहने से सरकारी गेहूं की मांग काफी कम हो गई है।
मिलर्स का कहना है कि बाजार में प्राइवेट ट्रेड से मिलने वाला गेहूं सस्ता और आसानी से उपलब्ध है, जबकि सरकारी गेहूं का न्यूनतम आरक्षित मूल्य (रिजर्व प्राइस) 2550 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है, जिसमें परिवहन खर्च शामिल नहीं है। इस वजह से एफसीआई का गेहूं प्राइवेट बाजार की तुलना में महंगा पड़ रहा है और खरीद में उनका झुकाव कम हो रहा है। इसके चलते कई मिलर्स ने नीलामी में भाग लिया ही नहीं, जबकि कुछ ने सीमित मात्रा में ही खरीद की। वर्तमान वित्त वर्ष 2025-26 में गेहूं की बिक्री की पहली ई-नीलामी 12 नवंबर को हुई थी, जिसमें 2 लाख टन के मुकाबले केवल 72,856 टन का उठाव संभव हुआ।