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Burhanpur News: किसान खेतों में पोषक तत्वों का संतुलित उपयोग करें

 

Burhanpur News: कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भूपेंद्र सिंह और डॉ. कार्तिकेय सिंह ने नेपानगर विकासखंड में किसानों को खेती को लाभ का धंधा बनाने की जानकारी दी। उन्होंने कहा किसान आधुनिक तकनीक और संतुलित पोषक तत्वों का सही उपयोग करें, तो खेती को फायदे का धंधा बना सकते हैं। केवल खाद डालने से उत्पादन नहीं बढ़ता। मिट्टी की जांच जरूरी है। जांच से पता चलता है कि खेत में कौन से पोषक तत्व कम या ज्यादा हैं। उसी के अनुसार खाद डालनी चाहिए। इससे उत्पादन बढ़ता है और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है।

किसानों को हर फसल चक्र की शुरुआत में मिट्टी की जांच करानी चाहिए। बिना जांच के खाद डालना नुकसानदायक हो सकता है। खेतों में जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट और गोबर खाद का उपयोग करना चाहिए। इससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और लागत भी घटती है। उद्यानिकी विभाग के अधिकारी अखिलेश ने बताया फसल अवशेष जलाना गलत है। किसान इनका सही प्रबंधन कर जैविक खाद बना सकते हैं। इससे मिट्टी की संरचना सुधरती है और पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है। एक ही खेत में अलग-अलग फसलें उगाने की प्रणाली यानी फसल चक्र अपनाने पर जोर दिया गया। इससे मिट्टी का संतुलन बना रहता है और कीट व बीमारियों का असर भी कम होता है।

किसानों ने बताया गेहूं में सल्फर की कमी से दानों की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। धान में जिंक की कमी से पौधों का विकास रुक जाता है। सरकार फसल विशेष उर्वरक योजना चला रही है। इसके तहत किसानों को उनकी फसल और मिट्टी के अनुसार खाद दी जाती है। मक्का और गने में नाइट्रोजन की ज्यादा जरूरत होती है। दालों में फास्फोरस की। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संदीप कुमार सिंह ने कहा रासायनिक खाद के अधिक उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता बिगड़ती है। जैविक खादों का प्रयोग जरूरी है। गेहूं के बाद मूंग, चना या सूरजमुखी की खेती लाभकारी रहती है। खेतों में जैविक खाद के प्रयोग से उत्पादन में सभी जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं। ये तत्व हमारे भोजन में भी उपयोग होते हैं, इससे मिट्टी का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।