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Guna News: प्रीपेड स्मार्ट मीटर के खिलाफ सड़कों पर उतरे बिजली उपभोक्ता

 

Guna News: आल इंडिया बिजली उपभोक्ता एसोसिएशन गुना इकाई ने शुक्रवार को एमपीईबी कार्यालय गेट पर विरोध प्रदर्शन किया गया। बिजली संशोधन विधेयक 2022 के तहत मध्य प्रदेश बिजली विद्युत कंपनी प्रदेश भर में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगा रही है। जिले में भी स्मार्ट मीटर लगाने की तैयारी पूरी हो चुकी है और जिले के कई हिस्सों में उपभोक्ता के विरोध करने के बाद भी जबरदस्ती उनके घरों पर स्मार्ट मीटर लगाए जा रहें है।

सदस्य मनोज रजक ने कहा कि बिजली पर कारपोरेट कंपनियों के पूर्ण नियंत्रण को स्थापित करने के लिए ही करोड़ों रु बर्बाद करके 'प्रीपेड मीटर' पूरे देश में लगाए जा रहे हैं। उपभोक्ताओं को इसका आर्थिक बोझ उठाने के लिए मजबूर किया जा रहा है जबकि देशभर में प्रीपेड मीटर का विरोध हो रहा है। ये मीटर 2025 तक सभी जगह लगा देने का लक्ष्य लेकर मध्य प्रदेश के भी अनेक शहरों में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं।

इसके संचालन का तरीका मौजूदा प्रीपेड मोबाइल फोन रिचार्ज के समान होगा उपभोक्ताओं को पहले भुगतान करना होगा और फिर बिजली का उपयोग करना होगा। रिचार्ज करने के बाद अगर मीटर खराब हो जाता है तो रिचार्ज को गई राशि के वापिस मिलने की कोई गारंटी नहीं है। इसमें टीओडी (TOD) बिलिंग का भी प्रावधान है जिसका अर्थ है कि दिन के ज्यादा खपत के समय बिजली का रेट बढ़ जाएगा।

ये मीटर निजी कंपनी द्वारा नियंत्रित किए जाएंगे। मीटर लगते वक्त बताया जा रहा की स्मार्ट मीटर निशुल्क लग रहे है। जबकि वास्तविकता यह है की उपभोक्ता को मीटर के लिए 25000 रुपए तक चुकाना होगा। साथ ही ये प्रणाली सब्सिडी को खत्म करने के द्वार खोल देगी। खेती के लिए किसानों को अलग लाइन दी जाएगी और सब्सिडी डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर के माध्यम से बैंक में दी जाएगी।


कॉरपोरेट कंपनियों को सौंपने की तैयारी

मप्र बिजली उपभोक्ता एसोसिएशन के नेता नरेन्द्र भदौरिया ने कहा कि बिजली जो दशकों से एक आवश्यक सेवा के रूप में आम लोगों के जीवन से अविभाज्य रूप से जुड़ी हुई है और सार्वजनिक क्षेत्र के अधीन थी उसे अब लाभ कमाने वाली कॉरपोरेट कंपनियों के हाथों में सौंपने की पूरी तैयारी कर ली गई है। सब्सिडी को धीरे धीरे समाप्त किया जा रहा है। बिजली संशोधन विधेयक (2022) में प्रस्ताव है कि नियामकों को बिजली की लागत से कम टैरिफ तय करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। महाराष्ट्र और उड़ीसा राज्यों में बिजली के निजीकरण के विनाशकारी प्रभाव को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्य में निजीकरण की प्रक्रिया जोरों पर है।