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कोरोना काल में बेरोजगार महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर, अब हर माह ₹8–10 हजार की आमदनी

 

MP News: शहर की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए संगम सेवालय संस्था पिछले चार सालों से निशुल्क सिलाई और हैंडीक्राफ्ट का प्रशिक्षण दे रही है। अब तक 340 महिलाएं प्रशिक्षण लेकर घर से काम कर रही हैं और हर माह ₹8 से 10 हजार तक कमा रही हैं। इससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है और कई महिलाएं अपने बच्चों को बेहतर स्कूलों में पढ़ा पा रही हैं।

संस्था की संचालिका ने बताया कि 2021 में लॉकडाउन के दौरान कई कामकाजी महिलाएं बेरोजगार हो गई थीं। इन्हें स्वरोजगार से जोड़ने के लिए उन्होंने अपने निजी स्कूल में प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया। सिलाई के लिए संगीता चौरसिया और हैंडीक्राफ्ट के लिए मंजू तिवारी को नियुक्त किया गया। दोनों प्रशिक्षिकाएं 30-30 महिलाओं के बैच बनाकर छह माह का प्रशिक्षण देती हैं। सिलाई में कपड़ों की कटिंग और सिलाई सिखाई जाती है। हैंडीक्राफ्ट में महिलाएं बंधनबार, तोरण द्वार, पैरदान, सजावटी सामान और भगवान के आसन बनाना सीखती हैं।

हल्की बाई रैकवार ने एक साल का प्रशिक्षण लेने के बाद अपने घर पर महिलाओं के कपड़े सिलना शुरू कर दिया। उन्होंने हैंडीक्राफ्ट की सामग्री भी बनाई और अब प्रतिमाह ₹8–10 हजार कमाकर परिवार की आर्थिक मदद कर रही हैं।

गुलाब प्रजापति लोगों के घर-घर जाकर सिलाई और हैंडीक्राफ्ट का काम करती हैं। उनके परिवार में छह सदस्य हैं। दो साल पहले उन्होंने प्रशिक्षण लिया और अब वे प्रतिदिन अपने काम के साथ महिलाओं के कपड़े बनाती हैं। इससे उन्हें ₹8–9 हजार प्रति माह की आमदनी हो रही है।

कुछ महिलाओं ने मशीन खरीदकर अपने घर पर शाम के समय सिलाई शुरू कर दी। उन्हें इससे ₹7–8 हजार प्रतिमाह अतिरिक्त आमदनी हो रही है।

संस्था के प्रयास से महिलाओं को ना केवल आत्मनिर्भर बनाया गया है, बल्कि उन्हें स्वरोजगार के माध्यम से स्थायी आय का स्रोत भी मिल गया है। इस पहल से न केवल महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है।