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आदर्श ग्राम योजना के बावजूद गांवों में अधूरा और घटिया निर्माण, ग्रामीण परेशान

 

Chhatarpur News: प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना का उद्देश्य गांवों का समग्र विकास करना और उन्हें आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करना है। इसमें बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और डिजिटल सेवाओं के माध्यम से गांवों को उदाहरण बनाने की बात कही गई थी। लेकिन टीकमगढ़ जिले में कई आदर्श ग्रामों की स्थिति इसके विपरीत दिख रही है।

जिले में 2021-22 में चयनित 50 से अधिक गांवों को आदर्श ग्राम का दर्जा दिया गया और राशि भी जारी की गई। इसके बावजूद जमीनी स्तर पर काम अधूरा, घटिया या केवल कागजों तक सीमित रह गया। जांच में कई कमियां सामने आई हैं।

भगवंतनगर में सीसी सड़क, प्राथमिक शाला और आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय, पीएससी सेंटर और स्ट्रीट लाइट लगाई जानी थी। इसके लिए आदर्श ग्राम और मनरेगा के मद से कुल लगभग 15 लाख रुपए की राशि निर्धारित थी। बावजूद इसके केवल सीसी सड़क का कुछ हिस्सा बनाया गया, बाकी निर्माण अधूरा रहा।

टपरियन चौहान में पानी की टंकी बन गई, लेकिन पेयजल सप्लाई नहीं हुई। सड़क कीचड़ में बदल गई और सीसी सड़क कई जगह से उखड़ गई। आंगनबाड़ी भवन जर्जर हालत में है और नालियों का निर्माण नहीं हुआ।

बकपुरा में पुलिया पर पानी भर जाता है, जिससे गांव में जाना मुश्किल और खतरनाक हो जाता है। रामनगर में सीसी सड़क अधूरी और गिट्टी उखड़ चुकी है, नालियों और स्ट्रीट लाइटों की स्थिति भी खराब है। लक्ष्मनपुरा में बनाई गई टंकी रिसाव कर रही है, जिससे गांव के लिए खतरा बना हुआ है।

ग्रामीणों का कहना है कि आदर्श ग्राम का बोर्ड तक मौजूद नहीं है और सुविधाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में भी कमी है।

जिला प्रशासन ने जांच के बाद पंचायतों को अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के निर्देश दिए हैं। यदि समय पर सुधार नहीं किया गया तो नियम के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों ने कहा कि योजना के उद्देश्य के अनुरूप गांवों में काम पूरा करना आवश्यक है, ताकि ग्रामीणों को सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

इस स्थिति से यह साफ हो गया है कि सिर्फ आदर्श ग्राम का दर्जा देने से काम नहीं बनता। जरूरी है कि राशि का सही इस्तेमाल हो, निर्माण गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाए और ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार हो।