Crop Insurance : किसानों से मजाक, बीमा कंपनी ने सात लाख प्रीमियम लेकर 652 किसानों को 821 रुपए दिया मुआवजा
किसानों की फसल खराब हो रही है और सरकार द्वारा ज्यादा मुआवजे देने का दावा होता है, लेकिन एमपी में किसानों के लिए मजाक हुआ है। जहां पर नर्मदापुरम में फसल बीमा को लेकर किसान परेशान हैं। सेटेलाइट से किए गए सर्वे में सिवनी मालवा के भैंरोपुर तहसील के एक पटवारी हल्के में 652 किसानों को मात्र 821 रुपए का बीमा मिला है। यह किस हिसाब से दिया गया है। इसकी जानकारी किसानों को कोई अधिकारी नहीं दे रहा है। ग्राम भैरोपुर पटवारी हल्का 18 में 2700 एकड़ में खेती की जा रही है। इसमें से 2500 एकड़ जमीन पर किसानों ने अलग-अलग बैकों से कृषि ऋण लिया है।
किसानों ने 7 लाख प्रीमियम जमा किया
652 किसानों के ऋण खाते से एसबीआई फसल बीमा कंपनी को लगभग 7 लाख रुपए प्रीमियम जमा किया। कंपनी ने 652 किसानों को मात्र 821 रुपए खरीफ की फसल क्षतिपूर्र्ति बीमा राशि दी है। राशि अभी किसानों के खातों में नहीं आई है। बीमा राशि की सूची मिलने पर किसानों को इसकी जानकारी लगी। किसानों ने राजस्व विभाग के अधिकारियों से मुलाकात कर इसकी जानकारी दी है। इस पर अधिकारी कुछ बताने को तैयार नहीं है।
हरदा जिले में भी यही स्थिति
हरदा जिले में भी फसल बीमा राशि के नाम पर किसानों को 19 से 23 रुपए प्रति एकड़ तक मिले हैं। योजना के नाम पर किसानों का मजाक उड़ाए जाने से आक्रोशित किसान पिछले दिनों यह राशि सरकारी खजाने में वापस जमा कराने के लिए देने पहुंचे थे। इस दौरान किसानों की एडीएम पुरुषोत्तम कुमार से काफी नोंकझोंक हुई। एडीएम ने राशि लेने से इंकार कर दिया। उन्होंने केवल किसानों की मांगों का ज्ञापन लेकर कार्रवाई की बात कही थी।
किसानों की परेशानी
किसान शमशेर सिंह का कहना है कि 2024 में 35 एकड़ में सोयाबीन लगाया था। इसका प्रीमियम भी लगभग 10500 रुपए जमा किया था। बीमा की राशि अभी हमारे खाते में नहीं आई है। लेकिन सूची में हमारे पटवारी हल्के में किसानों का 821 रुपए बीमा आया है।
भारतीय किसान यूनियन प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष पटवारे ने कहा कि वर्ष 2024 में हमारी 45 एकड़ की सोयाबीन फसल का बीमा मिलना है। हमारे पटवारी हल्के में 652 किसानों का 821 रुपए बीमा आया है। हमने अधिकारियों से बात की। लेकिन कोई कुछ बता नहीं है। संगठन के माध्यम से विरोध किया है।
पहले फसल बीमा के लिए पटवारी हल्के में खेत से पांच-पांच मीटर की फसल काटकर उसका अनाज निकालते थे। इसकी तुलाई कर वजन के हिसाब से उत्पादन का आंकड़ा निकाला जाता था। ग्राम भैंरोपुर के किसान संतोष पटवारे ने बताया कि यह सर्वे 80 प्रतिशत तक सटीक उत्पादन क्षमता निकलता था लेकिन सेटेलाइट सर्वे किसान की समझ से परे है। किसानों ने इसका विरोध भी दर्ज कराया है। इसके बाद भी फसल बीमा की विसंगतियों को दूर नहीं जा रहा है।