नगर पालिका अध्यक्ष को लेकर पार्षदों में विवाद, अविश्वास की तैयारी
Shivpuri News: शिवपुरी नगर पालिका में अध्यक्ष को लेकर गंभीर राजनीतिक विवाद सामने आया है। नगर परिषद के कार्यकाल के तीन साल पूरे होने के बाद कुल 39 में से 22 पार्षदों ने एक मंदिर में जाकर नपाध्यक्ष को हटाने और न हट पाने की स्थिति में खुद इस्तीफा देने की कसम खाई। इस कसम को मानने के बाद पार्षदों ने कहा कि अब उन्हें इसके परिणामों की चिंता है और यदि कसम टूटती है तो उन्हें ‘कोढ़’ जैसी बीमारी का डर है।
केंद्रीय नेताओं और स्थानीय भाजपा संगठन के प्रयासों के बावजूद पार्षद अपनी कसम पर अडिग हैं। 22 पार्षदों ने कलेक्टर को अविश्वास प्रस्ताव का आवेदन दे दिया है। कलेक्टर ने इस मामले की सुनवाई 25 अगस्त को तय की है। भाजपा संगठन ने तुरंत सक्रिय होकर पार्षदों को आवेदन वापस लेने का आग्रह किया, लेकिन पार्षदों ने अपनी स्थिति बनाए रखी।
नगर पालिका में विभिन्न वार्डों के पार्षदों ने कहा कि कसम खाने के बाद पलटना अब संभव नहीं है। उन्होंने अधिकारियों और केंद्रीय नेताओं से कहा कि नपाध्यक्ष को बदल दिया जाए, लेकिन वे अपनी कसम नहीं तोड़ सकते। इस दौरान पार्षदों के बहुमत जुटाने और खरीद-फरोख्त की चर्चाएं भी सामने आईं।
अन्य जिलों में भी स्थिति समान है। सागर, टीकमगढ़, गुना और विदिशा में नपाध्यक्षों के खिलाफ पार्षद अविश्वास प्रस्ताव लेकर खड़े हैं। कुछ नगरपालिकाओं में अध्यक्षों के समर्थन में और कुछ में विरोध में पार्षदों की संख्या अलग-अलग है, लेकिन सभी जगह पार्षद सक्रिय हैं और बैठकें बाधित हो रही हैं।
नगर पालिका में पहले अध्यक्ष को हटाने की प्रक्रिया दो साल और पार्षदों के दो तिहाई बहुमत तक सीमित थी। बाद में सरकार ने समयसीमा बढ़ाकर तीन साल कर दी और बहुमत की संख्या भी तीन चौथाई कर दी। अब तीन साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है, इसलिए कई परिषदों में अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारियां तेज हो गई हैं।
यह विवाद प्रशासन और राजनीतिक दलों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती बन गया है। पार्षद अपनी कसम और स्थानीय परंपराओं के आधार पर अपनी स्थिति पर कायम हैं, जबकि संगठन और नेताओं ने समाधान निकालने के कई प्रयास किए हैं। अब निर्णय कलेक्टर की सुनवाई और आगामी राजनीतिक कदमों पर निर्भर करेगा।