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मंडी में 4 करोड़ की लागत से हो रहा निर्माण, रेत की जगह डस्ट का इस्तेमाल

 

Chhatarpur News: नौगांव कृषि उपज मंडी में करीब 4 करोड़ 25 लाख रुपए की लागत से बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहा है। लेकिन इस काम में गुणवत्ता को लेकर गंभीर लापरवाही सामने आ रही है। जानकारी के अनुसार ठेकेदार द्वारा सीमेंट के साथ रेत की जगह 100 प्रतिशत डस्ट मिलाकर मसाला तैयार किया जा रहा है।

टेंडर और निर्माण कार्य

इस परियोजना का टेंडर टीकमगढ़ जिले की एक कंपनी को दिया गया है। इसके तहत मंडी परिसर में 10 दुकान-कम-गोदाम, कृषक विश्राम गृह, बैंक-कम-पोस्ट ऑफिस, 4 आई-टाइप स्टाफ क्वार्टर और 2 एच-टाइप क्वार्टर बनाए जा रहे हैं। कई इमारतें बीम लेवल तक तैयार हो चुकी हैं और कुछ हिस्सों में छत का काम भी पूरा कर लिया गया है।

मौके पर मिली खामियां

स्थानीय नागरिकों, कर्मचारियों और व्यापारियों का कहना है कि निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का प्रयोग हो रहा है। बुधवार को जब स्थल पर जांच की गई तो पाया गया कि मसाले में रेत की बजाय पूरी तरह डस्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है। ठेकेदार ने दिखावे के लिए रेत का भंडारण जरूर किया था, लेकिन उसे उपयोग में नहीं लाया गया।

इसके अलावा फ्लाई ऐश ईंटों की गुणवत्ता भी कमजोर पाई गई। डस्ट में पत्थर का चूरा मिलाकर दीवारें खड़ी की जा रही हैं। वहीं रेत में 70 प्रतिशत से ज्यादा सिल्ट की मात्रा दर्ज की गई। गिट्टी और सीमेंट भी तय अनुपात में नहीं मिलाए जा रहे हैं।

जिम्मेदार अधिकारी गायब

निर्माण स्थल पर न तो मंडी बोर्ड के एसडीओ और न ही साइट प्रभारी उपयंत्री मौजूद मिले। काम की निगरानी ठेकेदार के सुपरवाइजर के भरोसे छोड़ी गई थी। नागरिकों का आरोप है कि यह सब अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से हो रहा है।

अधिकारियों के बयान

जब मामले पर सवाल उठे तो मंडी बोर्ड के एसडीओ ने कहा कि निर्माण सही तरीके से हो रहा है, लेकिन शिकायतों को देखते हुए वे खुद स्थल पर पहुंचकर जांच करेंगे। वहीं उपयंत्री का कहना है कि वे अन्य काम में व्यस्त हैं, लेकिन गुरुवार को साइट पर जाकर सामग्री की गुणवत्ता की जांच की जाएगी।

लोगों की चिंता

स्थानीय लोगों का कहना है कि करोड़ों रुपए की लागत से बनाए जा रहे इस भवन का भविष्य पहले से ही संदिग्ध लग रहा है। यदि घटिया सामग्री का उपयोग जारी रहा तो इमारतें कुछ ही सालों में जर्जर हो जाएंगी और सरकारी धन की बर्बादी होगी।