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टीकमगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्त्री रोग विशेषज्ञ की अनुपस्थिति, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को खतरा

 

Tikamgarh News: टीकमगढ़ जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्त्री रोग विशेषज्ञों की लंबे समय से अनुपस्थिति से ग्रामीण महिलाएं गंभीर संकट का सामना कर रही हैं। गर्भवती महिलाओं और प्रसव पीड़ा से तड़पती महिलाओं को अक्सर जिला अस्पताल रेफर किया जाता है। स्टाफ नर्सों द्वारा दिए जाने वाले रेफर पर्चों पर यह स्पष्ट लिखा जाता है कि महिला और बच्चे की जिम्मेदारी परिजनों की होगी।

जिले के पलेरा, जतारा, बल्देवगढ़, बड़ागांव धसान और खरगापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर स्त्री रोग विशेषज्ञ के पद स्वीकृत हैं, लेकिन दशकों से ये पद खाली हैं। परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को सामान्य जांच, रुटीन चेकअप और प्रसव के लिए जिला मुख्यालय टीकमगढ़ जाना पड़ता है।

एक उदाहरण में, बड़ागांव धसान की मूलचंद रैकवार की पत्नी किरन (19) की पहली डिलीवरी के लिए जिला अस्पताल रेफर किया गया। वहीं बल्देवगढ़ ब्लॉक के मातौल गांव की सुनीता (21) को भी उच्च जोखिम बताकर खरगापुर सीएचसी से जिला अस्पताल भेजा गया, लेकिन वहां नॉर्मल डिलीवरी कराई गई और बच्चा स्वस्थ जन्मा। इसी तरह जतारा ब्लॉक की शिवानी (22) को कई बार 50 किमी दूर जिला अस्पताल जाना पड़ा, और अंततः निजी अस्पताल में सुरक्षित प्रसव हुआ।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में नर्सों द्वारा महिलाओं को “हाई रिस्क” बताकर रेफर करना आम हो गया है। कई बार यह गलत जानकारी पर आधारित होता है, जिससे परिवार और महिला तनाव में आ जाते हैं। उदाहरण के लिए, खरगापुर में सुनीता के परिवार को बताया गया कि बच्चा मल से सना है, जबकि जिला अस्पताल पहुंचने पर पता चला कि ऐसा कोई खतरा नहीं था।

हाल ही में शासन ने सभी सीएचसी में 4-4 विशेषज्ञों की पदस्थापना की थी, जिनमें स्त्री रोग, मेडिसिन, एनेस्थीसिया और सर्जरी विशेषज्ञ शामिल थे। इन्हें बॉन्ड के तहत नियुक्त किया गया, लेकिन अब तक कोई भी ज्वाइन नहीं किया। परिणामस्वरूप स्टाफ नर्स को ही निर्णय लेने और गंभीर मामलों में महिलाओं को रेफर करने की जिम्मेदारी संभालनी पड़ रही है।

ग्रामीणों का कहना है कि स्त्री रोग विशेषज्ञों की अनुपस्थिति से स्वास्थ्य केंद्रों पर भरोसा कम हुआ है। महिलाएं नियमित जांच और प्रसव के लिए लंबा सफर तय कर रही हैं, जिससे समय पर उपचार में देरी होती है और आर्थिक व मानसिक दबाव बढ़ता है।

विशेषज्ञों की त्वरित नियुक्ति और स्वास्थ्य केंद्रों में आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के स्वास्थ्य और प्रसव सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन को तत्काल कदम उठाना होगा, ताकि भविष्य में किसी अप्रिय घटना का खतरा न रहे।